MP Panchayat Chunav को लेकर कांग्रेस ने रखी नई मांग, बीजेपी बोली इतने कंफ्यूज क्यों?
नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव जल्द कराने की मांग के लेकर हाई कोर्ट में सुनवाई के बीच कांग्रेस ने नई मांग खड़ी की है. कांग्रेस का कहना है कि 10वीं और 12वीं की परीक्षा के बाद ही चुनाव होने चाहिए.
भोपाल: नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव जल्द कराने की मांग के लेकर हाई कोर्ट में सुनवाई के बीच कांग्रेस ने नई मांग खड़ी की है. कांग्रेस का कहना है कि 10वीं और 12वीं की परीक्षा के बाद ही चुनाव होने चाहिए. बयान आते ही बीजेपी ने उलटा कांग्रेस पर ही सवाल दाग दिए और पंचायत चुनाव टलने के आरोप लगा दिए.
'कांग्रेस कंफ्यूज है'
भाजपा ने कहा कि कांग्रेस के कोर्ट जाने के कारण पहले नगरीय निकाय फिर पंचायत चुनाव टल गए. कांग्रेस कंफ्यूज है,नेता सड़को पर लड़ रहे है. सरकार थी तब बंद कमरे में लड़ते थे. सरकार जाने के बाद सड़क पर लड़ रहे हैं. सरकार की तरफ से चुनाव जल्द हो इसको लेकर परिसीमन,आरक्षण की प्रक्रिया जारी है.
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चुनाव से बचने का आरोप
बता दें एमपी में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव जल्द हो इसको लेकर जबलपुर हाईकोर्ट में लगाई गई याचिका में सुनवाई होनी है. इसी बीच कांग्रेस ने प्रदेश सरकार पर चुनाव से बचने का आरोप लगाया है. पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि 10वीं और 12वीं के एग्जाम के बाद चुनाव होना चाहिए. इससे बच्चों की पढ़ाई में व्यवधान ना हो.
कांग्रेस कंफ्यूज, सड़को पर लड़ रहे नेता
पलटवार करते हुए सरकार के मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कांग्रेस को कंफ्यूज बताते हुए प्रदेश में नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में देरी के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है. मंत्री ने कहा कि कांग्रेस कंफ्यूज है. कभी चुनाव जल्द कराने की कहते हैं तो कभी चुनाव को लेकर कोर्ट में जाते हैं. अब चुनाव देरी से कराने का बयान दे रहे हैं. कांग्रेस पार्टी पूरी तरीके से कंफ्यूज है. बड़े नेता सड़कों पर लड़ रहे हैं. प्रदेश में जब कमलनाथ सरकार थी तो बंद कमरों में लड़ते थे, अब ये लड़ाई सरकार जाने के बाद सड़क पर आ गई है. कमलनाथ और दिग्विजय सड़क पर लड़ रहे है.
मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में से एक पर कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि ट्रिपल टेस्ट का पालन कराने के बाद स्थानीय पंचायत चुनाव कराए जाएंगे. इसके पहले मध्य प्रदेश सरकार द्वारा जारी अध्यादेश में पंचायत चुनाव संपन्न कराने का ऐलान हो चुका था. जिसमें आरक्षण और रोटेशन का पालन नहीं किया गया था. सरकार ने 8 साल पुराने रोटेशन के आधार पर ही चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी.
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