MP Politics: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में अब एक साल का ही वक्त बचा है, चुनाव से पहले कई सियासी समीकरण बनने लगे हैं, जो राजनीतिक दलों की चुनावी रणनीतियों को बिगाड़ सकते हैं. मध्य प्रदेश के जय आदिवासी संगठन यानि जयस ने कल धार जिले के कुक्षी में एक महापंचायत बुलाई थी, जिसमें जयस ने एक बड़ा ऐलान किया है, जो चुनाव में कांग्रेस के लिए परेशानियां खड़ी कर सकता है. वहीं जयस के इस ऐलान से बीजेपी की रणनीति पर भी असर पड़ सकता है. 


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जयस 80 सीटों पर उतारेगा अपने प्रत्याशी 
दरअसल, कल धार जिले के कुक्षी में जयस ने महापंचायत का आयोजन किया था, इस आयोजन में प्रदेश के अलावा देशभर से कई लोग जुटे थे. विधायक हीरालाल अलावा और जयस सरंक्षक ने इस महापंचायत का आयोजन किया था. विधायक हीरालाल अलावा ने 'जय जौहार जय आदिवासी नारे' के साथ हुंकार भरते हुए बड़ा ऐलान किया. उन्होंने कहा कि जयस 2023 का विधानसभा चुनाव अपने दम पर लड़ेगा. हीरालाल अलावा ने आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित विधानसभा सीटों के अलावा प्रदेश की 80 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी उतारने की बात कही है. 


कांग्रेस से गठबंधन नहीं होगा 
कांग्रेस विधायक हीरालाल अलावा ने कहा कि जब चुनाव आता है, तब आदिवासी वर्ग के लिए घोषणाएं याद आ जाती है, इसलिए 2023 में जयस स्वतंत्र होकर चुनाव लड़ेगा, हम 80 सीटों पर प्रत्याशी उतारेंगे. हीरालाल अलावा ने एक बात और स्पष्ट करते हुए कहा कि जयस इस बार कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेगा, हालांकि हीरालाल अलावा फिलहाल कांग्रेस की तरफ से ही विधायक हैं. उन्होंने कहा कि जयस का 
80 विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ने का केवल एक ही मकसद है देश के अंतिम पंक्ति मे खड़े वर्ग के युवाओं को नेतृत्व देने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है. इसलिए इस बार पूरी तैयारी के साथ हम चुनाव लड़ेंगे. जयस के इस ऐलान से कांग्रेस के लिए परेशानियां खड़ी कर सकती है.  


2018 में जयस ने कांग्रेस को किया था समर्थन 
दरअसल, 2018 के विधानसभा चुनाव में जयस ने कांग्रेस को समर्थन किया था, जिसका असर नतीजों पर भी दिखा था, कांग्रेस ने आदिवासी बहुल सीटों पर अच्छी जीत दर्ज की थी, जिसके चलते चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और सत्ता तक भी पहुंची थी. जयस संरक्षक हीरालाल अलावा ने कांग्रेस के टिकट पर मनावर से चुनाव जीता था. लेकिन 2023 के चुनाव से पहले अब जयस बागी तेवर दिखाता नजर आ रहा है. बता दें कि जयस मध्य प्रदेश में आदिवासियों का बड़ा संगठन है, जो प्रदेश के सभी आदिवासी बहुल अंचलों में सक्रिए हैं, जयस ने हाल ही में हुए नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में भी अच्छी उपस्थिति दर्ज कराई थी. ऐसे में जयस के बागी तेवर से न केवल कांग्रेस बल्कि बीजेपी की भी समस्या बढ़ सकती है. 


MP में आदिवासी वर्ग के लिए 47 सीटें 
प्रदेश में 47 सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं और 80 से ज्यादा सीटों पर इस वर्ग की पकड़ है, मालवा-निमाड़, महाकौशल और विंध्य अंचल आदिवासी बहुल माना जाता है, यही वजह है कि कोई भी राजनीतिक पार्टी आदिवासियों को अपने पाले में करने में जुटी है. बीजेपी सरकार ने भी हाल के दिनों में कई ऐसी योजनाएं लॉन्च की गई हैं, जिनमें आदिवासी कल्याण पर फोकस किया गया है. बीजेपी को आदिवासी वर्ग से आने वाली द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाने का भी फायदा मिलने की उम्मीद है. जबकि कांग्रेस भी कमलनाथ के नेतृत्व में प्रदेश के आदिवासी अंचलों में सक्रिए हैं, दरअसल, पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत में आदिवासी मतदाताओं ने बड़ी भूमिका निभाई थी. अब अगर जयस अपने दम पर चुनाव लड़ता है तो इससे कांग्रेस के समीकरण बिगड़ सकते हैं.