MP Politics: प्रमोद शर्मा/भोपाल। बीजेपी परिवारवाद को लेकर सख्त नजर आ रही है, खुद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा यह बात कह चुके हैं, बीजेपी में परिवारवाद नहीं चलेगा और एक ही परिवार से अलग-अलग लोगों को टिकट नहीं मिलेगा, जबकि पार्टी गाइडलाइन के अनुसार नेताओं के परिजनों को भी टिकट देने से परहेज किया जाएगा. बीजेपी के इस ऐलान के बाद मध्य प्रदेश के कई नेताओं की परेशानियां बढ़ गई हैं, क्योंकि पार्टी के कई दिग्गज नेताओं के पुत्र टिकट के दावेदार बने हुए हैं. लेकिन बीजेपी की सबसे ताकतवर कमेटी माने जाने वाले केंद्रीय संसदीय बोर्ड में शामिल पार्टी के एक दिग्गज नेता ने नेतापुत्रों को टिकट देने की वकालत की है. 


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सत्यनारायण जटिया ने नेता पुत्रों को टिकट देने की वकालत 
बीजेपी की केंद्रीय संसदीय बोर्ड में शामिल बोर्ड में शामिल बीजेपी के वरिष्ट नेता सत्यनारायण जटिया ने बड़ा बयान दिया है. जब उनसे आगामी विधानसभा चुनाव में नेता पुत्रों को टिकट देने को लेकर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि ''नेता का पुत्र होना कोई दोष नहीं है, योग्य नेता पुत्रों को टिकट मिलना चाहिए, पार्टी में ऐसी कोई अवधारणा नहीं है, जो योग्य है उसे टिकिट मिलना चाहिए चाहे वो नेता पुत्र क्यों हो या न हो.'' जटिया के इस बयान से बीजेपी के उन नेताओं की उम्मीदों को बल मिला है, जिनके पुत्र टिकट के दावेदार हैं. क्योंकि जटिया बीजेपी के सबसे ताकतवर केंद्रीय संसदीय बोर्ड में शामिल है, जहां सभी बड़े फैसले होंते हैं.


75 प्लस फॉर्मूले पर भी दिया था बयान 
इसके अलावा सत्यनारायण जटिया ने कुछ दिन पहले 75 प्लस फॉर्मूले पर भी बड़ा बयान दिया, उन्होंने कहा था कि ''परिवारवाद के खिलाफ गुजरात में लागू भाजपा के फॉर्मूले को लेकर मध्य प्रदेश में कई नेता पुत्रों के टिकट पर संशय की स्थिति है. बीजेपी में 75 साल की उम्र से ज्यादा के कार्यकर्ताओं को टिकट नहीं देने का कोई नियम नहीं है, इस संबंध में कोई नियम कभी बना ही नहीं, लोगों ने ऐसा मान लिया है, जबकि ऐसा नहीं है. पार्टी मे सक्रिय एवं उपयोगी कार्यकर्ताओं का हमेशा महत्व है और रहेगा.''


दरअसल, बीजेपी के दो मुद्दों की देश की राजनीति में हमेशा चर्चा होती है, माना जा रहा है कि बीजेपी ने वंशवाद को बढ़ावा देने से बचने के लिए नेताओं के परिजनों को टिकट नहीं देने का फैसला लिया है, जबकि 75 साल से ज्यादा उम्र के नेताओं को मार्गदर्शक मंडल में भेजा जाएगा, यानि उन्हें भी चुनाव नहीं लड़ाया जाएगा. हालांकि बीजेपी की तरफ से कभी इसको लेकर स्पष्ट गाइडलाइन जारी नहीं की गई है, जिसका जिक्र सत्यनारायण जटिया ने किया था. 


MP में नेता पुत्रों की लंबी फेहरिस्त 
बता दें कि परिवारवाद के खिलाफ गुजरात में लागू भाजपा के फॉर्मूले को लेकर मध्य प्रदेश में कई नेता पुत्रों के टिकट पर संशय की स्थिति है, क्योंकि मध्य प्रदेश बीजेपी में ऐसे नेताओं की फेहरिस्त लंबी है, जिनके पुत्र या अन्य कोई परिजन टिकट के दावेदार हैं. यानि एक परिवार में दो दावेदार हैं, लेकिन बीजेपी एक परिवार से एक ही टिकट के फॉर्मूले पर काम करती हुई नजर आ रही है. कुछ महीनों पहले मध्य प्रदेश के दौरे पर आए बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी यह बात स्पष्ट कर चुके हैं. मध्य प्रदेश में सीएम शिवराज सिंह चौहान, नरेंद्र सिंह तोमर, नरोत्तम मिश्रा, गोपाल भार्गव, प्रभात झा, गौरीशंकर बिषेन सहित ऐसे नेताओं की फेहरिस्त लंबी है, जिनके पुत्र बीजेपी में सक्रिए होकर लंबे समय से काम कर रहे हैं और अब टिकट के लिए भी दावेदारी की चर्चा तेज हो गई है. 


कांग्रेस ने साधा निशाना 
वहीं इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस ने बीजेपी पर निशाना भी साधा है, कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी ने कहा कि ''पूरी बीजेपी परिवारवाद में डूबी हुई है, एमपी के मंत्री और नेता अपने बेटों को टिकट के लिए जुटे हुए हैं. कैलाश विजयवर्गीय, राजनाथ सिंह, अमित शाह के बेटे परिवारवाद का बीजेपी में उदाहरण है पर बीजेपी को सिर दर्द है तो गांधी परिवार से उन्हें सिर्फ कांग्रेस में परिवारवाद दिखता है. कांग्रेस विधायक ने कहा कि गांधी परिवार के सदस्यों ने देश के लिए जान दी है. देश की तरक्की के लिए काम किया है, लेकिन बीजेपी को सिर्फ गांधी परिवार से परेशानी है.'' 


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