MP का एक ऐसा अस्पताल जहां डॉक्टर नहीं सिक्योरिटी गार्ड करते हैं इलाज! दूसरे राज्य से भी आते हैं लोग
Shahdol News: मप्र के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की अनुपस्थिति के कारण गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ रहा है. चौंकाने वाली बात यह है कि यहां अस्पताल में डॉक्टरों नहीं होने से इलाज कराने आए मरीजों का सिक्योरिटी गार्ड ( सुरक्षाकर्मी ) इलाज कर रहे हैं.
पुष्पेंद्र चतुर्वेदी/शहडोल: एमपी (MP News) में सरकारी अस्पतालों के हालत बद से बदतर हैं. आलम ये है कि करोड़ों की लागत वाले आलीशान अस्पतालों में डॉक्टर नहीं है , ऐसे में दूर-दराज से इलाज कराने आए मरीजों का अस्पताल के सिक्योरिटी गार्ड ( सुरक्षाकर्मी ) इलाज कर रहे हैं. ऐसा ही हैरान कर देने वाला ताजा मामला एमपी के शहडोल जिले के अंतिम छोर छत्तीसगढ़ बॉर्डर के समीप झिकबिजुरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से सामने आया है. जहां अस्पताल में डॉक्टरों नहीं होने से इलाज कराने आए मरीजों का सिक्योरिटी गार्ड ( सुरक्षाकर्मी ) इलाज कर रहे हैं. अस्पताल में डॉक्टर नहीं होने से पुलिस विभाग को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है. आपको बता दें कि ये वही झिकबिजुरी है. जहां सड़क व स्वास्थ्य सुविधा को लेकर दो दिन पहले ग्रामीणों ने विधायक के काफिले को रोक कर विरोध जताते हुए विधायक को खूब खरी खोटी सुनाई थी.
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जानें पूरा मामला?
आदिवासी बाहुल्य शहड़ोल संभागीय मुख्यालय से 85 किलोमीटर दूर जिले के अंतिम छोर छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा से लगे झिकबिजुरी में करोड़ों की लागत से आलीशान सामुदायिक स्वास्थ्य बनाया गया, लेकिन दुर्भाग्य से यहां एक भी डॉक्टर नहीं है. आलम ये है कि जिले के आसपास के 100 से अधिक गांव के लोग के अलावा छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा से लगे होने के कारण छत्तीसगढ़ से भी लोग इलाज कराने इसी अस्पताल में आता है, लेकिन डॉक्टर नहीं होने के कारण उन्हें मजबूरी में या तो उल्टे पाव वापस लौटना पड़ता है या फिर प्राइवेट अस्पतालों का रुख करना पड़ता है. झिकबिजुरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का आलम ये है कि डॉक्टर नहीं होने से यहां अस्पताल के सिक्युरिटी गार्ड ( सुरक्षाकर्मि ) लोगों का इलाज कर रहे हैं. आप तस्वीर में साफ तौर पर देख सकते हैं. एक सुरक्षाकर्मी मरीज का इक्यूपमेंट से जांच कर इलाज कर रहा है. अस्पताल में डॉक्टर नहीं होने से आम आदमी ही नहीं, बल्कि पुलिस विभाग को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है. एमएलसी कराने के लिए या तो जैतपुर जाए या फिर बुढ़ार जाना पड़ता है. जिससे काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. वहीं इस मामले में जिले के जिम्मेदार अधिकारी पूरे प्रदेश में डॉक्टर की कमी का रोना रोकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं.
आपको बता दें कि नियमानुसार किसी भी समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कम से कम 8 डॉक्टर की पदस्थापना होनी चाहिए, नहीं तो कम से कम 4 डॉक्टर तो होना ही चाहिए . सुबह ,दोपहर, शाम, रात डाक्टर उपल्ध रहना चाहिए. इसके साथ ही वार्डबॉय, टेक्नीशियन, नर्स होनी चाहिए, लेकिन यहां 8 डाक्टर दो टूर 1 डाक्टर भी नहीं है. जिसके चलते लोगों को इलाज के लिए यहां वहां भटकना पड़ रहा , विवश होकर प्राइवेट अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है.