मनोज जैन/शाजापुर: मध्‍य प्रदेश के शाजापुर ज‍िले में एक ऐसा बरगद का पेड़ है ज‍िसके अंदर नागदेवता का मंद‍िर बना हुआ है. मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर कुम्हारिया मार्ग पर स्थित तक्षक नागदेव मंदिर अति प्राचीन है. यह मंदिर बरगद के पेड़ के नीचे बना हुआ है. 


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करीब 2 बीघा में फैले इस पेड़ की टहनियों से निकली हैं जटाएं
प्राचीन मान्यता है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूरी होती है और यहां नाग-नागिन का जोड़ा भी देखा जाता है. मंदिर जहां बना है, वह बरगद क्षेत्र का सबसे घना व बड़ा पेड़ है. करीब 2 बीघा में फैले इस पेड़ की टहनियों से निकली जटाएं, आगे जाकर खुद टहनी बनने लगी और पेड़ फैलता गया. 


बरगद की टहन‍ियां हैं बहुत घनी 
अंदर जाने पर बरगद की टहनियां इतनी घनी है कि इसमें करीब 100 मीटर आगे ही जा सकते हैं और यही तक्षक नाग का स्थान है. इससे आगे जाना काफी मुश्किल है. तक्षक नाग तक जाने के लिए भी झुककर टहनियों के बीचों में से जाना पड़ता है. यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं.


दो बीघा में फैला बरगद का पेड़


यहां जो बरगद का पेड़ है, वह दो बीघा में फैला हुआ है. एक ही पेड़ इतना घना होकर उसमें से निकलना भी मुश्किल होता है. पूरे पेड़ के अंदर घूमा नहीं जा सकता. इस पेड़ के ही नीचे नाग देवता का स्थान बना हुआ है.


हर मनोकामना होती है पूर्ण


नाग देवता के इस मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु मन्नत करते हैं और उनकी हर मनोकामना पूरी होती है. पूरे क्षेत्र के लोग मंदिर में आते हैं और पूजा अर्चना करते हैं. लोगों का मानना है यहां जो भी मांगा जाता है, नागदेवता उसे पूरा करते हैं. 


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