Who is Virendra Khatik:  PM नरेंद्र मोदी ने आज लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेकर इतिहास रच दिया है. देश के पहले पीएम जवाहरलाल नेहरू के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाले वे दूसरे नेता बन गए. मध्य प्रदेश की टीकमगढ़ सीट से सांसद डॉ. वीरेंद्र खटीक को एक बार फिर मोदी कैबिनेट में मंत्री पद की जिम्मेदारी मिली है...


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कौन हैं वीरेंद्र खटीक?
आठ बार लोकसभा चुनाव जीत चुके टीकमगढ़ सांसद वीरेंद्र खटीक अनुभवी नेता हैं. जो लंबे समय से भाजपा में सक्रिय हैं. वे सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय समेत कई अहम पदों पर काम कर चुके हैं, बता दें कि वीरेंद्र खटीक की गिनती जमीनी नेताओं में होती है. वे अक्सर जनता से मिलते नजर आते हैं. वीरेंद्र कुमार खटीक प्रदेश की सागर लोकसभा सीट से चार और टीकमगढ़ लोकसभा सीट से चार बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं. पहली बार वे वर्ष 1996 में हुए 11वें लोकसभा चुनाव में चुने गए थे. जिसके बाद उन्होंने 1998, 1999, 2004, 2009, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में अपने प्रतिद्वंद्वियों पर जीत हासिल की. ​​आपको बता दें कि 2024 के चुनाव में वे चार लाख वोटों से जीते. उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार पंकज अहिरवार को मात दी.


सागर में हुआ जन्म
वीरेंद्र खटीक का जन्म सागर जिले में हुआ था. उनका घर सिंघई जैन मंदिर, चकराघाट, सागर के पास है. डॉ. वीरेंद्र कुमार की शिक्षा की बात करें तो उन्होंने पीएचडी की है. उनकी शादी 1987 में कमल वीरेंद्र से हुई थी. उनकी तीन बेटियां और एक बेटा है. उनका पारिवारिक बिजनेस खेती है. उनके पास 2 करोड़ 88 लाख रुपए की संपत्ति है. आपको बता दें कि वीरेंद्र के खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है.


कभी जोड़ा करते थे पंक्चर
बता दें कि वीरेंद्र खटीक के पिता सागर में  पंक्चर बनाने की दुकान चलाते थे. पांचवीं कक्षा से ही डॉ. वीरेंद्र खटीक इस काम से जुड़ गए थे. एक दशक तक उन्होंने पंक्चर और साइकिल की रिपेयरिंग करके घर का खर्च चलाया. सागर में वे साइकिल रिपेयरिंग का काम करते थे. डॉ. वीरेंद्र कुमार खटीक और उनके पिता दिनभर रिपेयरिंग के काम में लगे रहते थे. इस काम से होने वाली आय से न सिर्फ घर का खर्च चलता था, बल्कि उनके भाई-बहनों की पढ़ाई का खर्च भी चलता था. सागर विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान भी डॉ. वीरेंद्र खटीक को साइकिल सुधारने का काम जारी रखना पड़ा.


 


जमीनी नेता
डॉ वीरेंद्र कुमार को जमीन जुड़ा नेता माना जाता है. 2009 से टीकमगढ़ सीट से सांसद हैं. वे इसी विधानसभा क्षेत्र में रहते हैं. केंद्रीय मंत्री होने के बावजूद वे बिना किसी सुरक्षा के क्षेत्र में घूमते रहते थे. उन्हें अक्सर बाइक और स्कूटर पर घूमते देखा गया. वे खुद ही सब्जी खरीदने के लिए बाजारों में भी जाते रहे हैं. वे लगातार लोगों से संवाद करते हैं और आम लोगों से उनका सीधा जुड़ाव है.


वीरेंद्र खटीक का राजनीतिक सफर
वीरेंद्र खटीक का लंबा राजनीतिक अनुभव है. 1977 में वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े और रीवा के संयोजक बने. 1979-82 तक वे संभागीय संगठन सचिव रहे. इसके बाद उन्होंने भारतीय जनता युवा मोर्चा से राजनीति शुरू की. 1982 से 1984 तक वे सागर जिले के महासचिव रहे. 1987 में वो सागर जिले में बजरंग दल के संयोजक बने. 1991 में वे भाजपा पार्टी में सागर जिले के सचिव बनाए गए. 1994 में वे भाजपा के प्रदेश प्रतिनिधि बनाए गए. 1996 में वे पहली बार सांसद पद के लिए चुने गए. जिसके बाद में उन्हें श्रम एवं कल्याण संबंधी स्थायी समिति में स्थान  दिया गया था.


आपको बता दें कि वीरेंद्र कुमार को 1998-99 में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की सलाहकार समिति का सदस्य बनाया गया. 1998 में वे दूसरी बार सांसद चुने गए. 1999 में वो तीसरी बार सांसद का चुनाव जीते. 2004 में वो सांसद के तौर पर चौथी बार संसद पहुंचे. इस दौरान वे श्रम समिति के सदस्य और विशेषाधिकार समिति के सदस्य रहे. 2006-08 में वे भाजपा के अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष बने. 2009 में वे पांचवीं और 2014 में छठी बार सांसद चुने गए.


जिसके बाद वे अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण समिति के सदस्य बने और श्रम संबंधी स्थायी समिति के अध्यक्ष रहे. उन्हें ऊर्जा संबंधी स्थायी समिति का अध्यक्ष भी बनाया गया. 3 सितंबर 2107 को वे केंद्रीय राज्य मंत्री बने. उन्हें महिला एवं बाल विकास मंत्री और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई. वे 2019 में सातवीं बार सांसद बने. जून 2019 में वे प्रोटेम स्पीकर थे. वे सत्रहवीं लोकसभा में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के साथ केंद्रीय कैबिनेट मंत्री बने.