Swami Vivekananda Jayanti 2023: देश में हर साल स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन पर राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है.स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को हुआ था, इस बार हम स्वामी विवेकानंद की 161वीं जयंती मना रहे हैं. बता दें कि विवेकानंद के आध्यात्मिक गुरु रामकृष्ण परमहंस थे. जिनसे वे काफी प्रभावित हुए और उनके बताए सिद्धांतों का पालन किया.जिनसे उन्होंने सीखा कि जो व्यक्ति अन्य जरूरतमंद लोगों की मदद करता है, उस सेवा से ही भगवान की सेवा होती है और स्वयं भगवान सभी जीवों में विद्यमान रहते हैं.1893 में जब उन्होंने विश्व धर्म संसद में भारत का प्रतिनिधित्व किया तो उनका भाषण सभी के दिल को छू गया था.उनके भाषण की पहली पंक्ति "मेरे अमेरिकी बहनों और भाइयों" ने भारत का मान बढ़ाया था तो चलिए स्वामी विवेकानंद की जयंती पर उनकी कुछ रोचक किस्से के बारे में आपको बताते हैं.


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किसी चीज से डरना नहीं है उसका सामना करों
एक रास्ते से गुजरते समय स्वामी विवेकानंद हाथ में प्रसाद लिए कुछ बंदरों से घिर गए थे तो वे डर के मारे भागने लगे, तभी पास खड़े साधु ने उनसे कहा, ठहरो! डरो मत, उनका सामना करो और देखो क्या होता है. साधु की बात सुनकर वह मुड़े और दृढ़ निश्चय के साथ आगे बढ़ने लगे.तब बंदर वहां से भागने लगे और विवेकानंद को इससे सबक मिला कि यदि आप किसी चीज से डर रहे हैं, तो उससे भागें नहीं, मुड़ें और उसका सामना करें.


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शारदामणि मुखोपाध्याय से मिली सीख
जब स्वामी विवेकानंद को शिकागो जाना था तो वे रामकृष्ण परमहंस की पत्नी शारदामणि से अनुमति लेने गए तो उन्होंने उनसे कुछ करने को कहा. उन्होंने कहा कि एक काम करो, चाकू उठाओ और मुझे दे दो.तब स्वामी विवेकानंद  चाकू उठाकर शारदामणि को दे देते हैं. जिसके बाद शारदामणि उनको देखकर कहता हैं कि तुमने इसकी नोक पकड़ी और मुझे दे दी. मैं समझती हूं कि तुम अपने मन, वचन और कर्म से किसी का अहित नहीं करोगे, इसलिए तुम जा सकते हो.


दूसरों को दी सीख
एक युवक स्वामी विवेकानंद से मिलने आता है और पूछता है कि इस देश में मां को इतना क्यों पूजा जाता है? जिस पर स्वामी विवेकानंद  कहते हैं 24 घंटे बाद मैं इसका जवाब दूंगा. इससे पहले आप अपने पेट पर 5 किलो वजन का पत्थर बांध लो और फिर आप घूमकर आएं.जब वह युवक कुछ घंटों में वापस आता है. तब स्वामी विवेकानंद बताते है कि एक मां अपने बच्चे को 9 महीने कैसे कोख में रखती है और साथ में घर का सारा काम भी करती है.इससे युवक समझ जाता है कि मां के सिवा कोई इतना सहनीशील और धैर्यवान नहीं है.


एक वेश्या से मिली विवेकानंद को सीख
जब विवेकानंद जी जयपुर के राजा के पास गए, तब जयपुर के राजा ने वेश्याओं को उनके स्वागत के लिए बुलाया. यह देखकर विवेकानंद कमरे में चले गए और अपना कमरा बंद कर लिया. इससे महाराजा को अपनी गलती का एहसास हुआ, उन्होंने विवेकानंद से माफी मांगी. जब वेश्या को इस बात का पता चला तो वह गीत गाने लगी.


यह गाना सुनकर उनकी आंखों से आंसू बह निकले और उन्होंने दरवाजा खोल दिया.इसके बाद विवेकानंद ने अपनी डायरी में लिखा कि मुझे ईश्वर से नई रोशनी मिली है. मैं डर गया था.मेरे अंदर जरूर कोई लालसा रही होगी.इसलिए मैं डर गयास लेकिन उस महिला ने मुझे पूरी तरह से हरा दिया.मैंने ऐसी विशुद्ध आत्मा कभी नहीं देखी.उन्होंने लिखा कि अब मैं उस महिला के साथ बिस्तर पर भी हो सकता था और मुझे कोई डर नहीं था. इससे यह सीख मिली कि संन्यासी को साक्षी होकर मन को दृढ़ करना चाहिए.


महिलाओं का सम्मान
एक महिला विवेकानंद के पास आई और उनसे कहा कि मैं आपसे शादी करना चाहती हूं. जिससे मुझे आप जैसा गौरवशाली पुत्र मिले.इस पर स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि मैं एक साधु हूं और मैं आपसे शादी कैसे कर सकता हूं? तुम चाहो तो मुझे अपना पुत्र बना लो, जिससे मेरा सन्यास भी भंग न हो और तुझे मेरे जैसा पुत्र प्राप्त होगा.यह सुनते ही वह स्त्री विवेकानंद के चरणों में गिर पड़ी और बोली कि आप धन्य हैं.