MP News: Ram Mandir के लिए 35 साल तक माला फेरते रहे बुजुर्ग, 1 करोड़ 50 लाख से ज्यादा राम नाम लिखे
Ram Temple News: मध्य प्रदेश के नीमच जिले के 75 वर्षीय डॉ. दुर्गालाल कछावा ने राम मंदिर के लिए 35 साल तक माला फेरी और 1 करोड़ 50 लाख से ज्यादा राम नाम लिखे.
Ram Temple News: रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए अयोध्या नगरी सजकर तैयार है. अब बस इंतजार प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम का है, जो कल होगा. राम जन्मभूमि आंदोलन में किसी ने अपनों को खोया तो कोई आज तक आंदोलन का मंजर अपने जेहन से नहीं निकाल पाया है. इस कड़ी में नीमच जिले के छोटे से गांव रायसिंहपूरा के 75 वर्षीय बुजुर्ग ने राम मंदिर को लेकर कुछ यादें साझा की हैं. नीमच जिले के 75 वर्षीय डॉ. दुर्गालाल कछावा ने राम मंदिर आंदोलन के दौरान कारसेवकों पर गोलियां चलने की खबर सुनकर माला फेरना शुरू किया था. उन्होंने 35 साल तक लगातार माला फेरी और 1 करोड़ 50 लाख से ज्यादा राम नाम लिखे. उन्होंने कहा कि उन्हें मरने से पहले राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा देखना है और भगवान ने उनकी यह इच्छा भी पूरी कर दी.
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1990 से माला फेरनी शुरू की
डॉ. दुर्गालाल कछावा बताते है कि जब 1990 में राम मंदिर को लेकर आंदोलन हुआ और कारसेवकों पर दनादन गोलियां दागी गईं. जिसमें कई कारसेवकों की मौत हो गई. जब मैं 40 साल का था. जब मुझे जानकारी मिली कि राम मंदिर को लेकर आंदोलन में कई गोलियां चल रही हैं, कारसेवकों की मौत हो रही है. तब मेरी आंखों मे आंसू आ गए और मैं बैठे-बैठे श्री राम को याद करने लग गया और मन में विचार भी आया कि अब में श्री राम का मंदिर नहीं देख पाऊंगा, लेकिन मेरी आत्मा ने भगवान से यही प्रार्थना की कि श्री राम यह आंखें आपके दर्शन जरूर करेंगी. मैने उसी दिन से माला फेरनी शुरू कर दी और मन में यही ठानी जब अयोध्या में श्री राम का मंदिर बनेगा, तब तक यह माला फेरता रहूंगा और श्री राम का नाम लेता रहूंगा.
'मुझे मरने से पहले ही स्वर्ग मिल गया'
डॉ. दुर्गालाल कछावा ने आगे ये भी बताया कि 1990 से वो लगातार माला फेर रहे हैं और श्री राम का नाम लेकर आयोध्या में मंदिर बनें, इसकी प्रार्थना कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मुझे माला फेरते हुए 35 साल हो गए. मैंने अयोध्या में श्री राम विराजन हो इसके लिए 2010 से श्री राम का नाम लिखने लगा. मैंने 52 कॉपियों में 1 करोड़ 50 लाख 31 हजार 551 नाम लिखे. जब 2016 तक यह राम नाम मैंने पूर्ण कर लिए थे और मेरी बूढ़ी आंखों को इसी बात का इंतजार था कि मरने से पहले मेरे राम लला की प्राण प्रतिष्ठा देख लूं, भगवान ने मेरी यह इच्छा भी पूरी कर दी. मैंने इसी जन्म में मेरे राम भगवान को मंदिर में देख लिया. मुझे मरने से पहले ही स्वर्ग मिल गया.
रिपोर्ट- प्रीतेश शारदा (नीमच)