सत्येंद्र परमार/निवाड़ीः ये जो आप तस्वीर देख रहे हैं, यही तस्वीर पूरी कहानी कहने के लिए काफी है. दरअसल इस तस्वीर में एक तरफ बंजर पहाड़ दिखाई दे रहा है और दूसरी तरफ हरा-भरा जंगल! 11 साल पहले तक यह पूरा पहाड़ बंजर ही था लेकिन उस वक्त ग्वालियर से एक साधु पुरुषोत्तम दास यहां रहने आए. आज उन्हीं साधु की मेहनत और जज्बे का ही नतीजा है कि बंजर पहाड़ का अधिकतर हिस्सा आज हरे-भरे जंगल में बदल चुका है.  


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

जी हां हम बात कर रहे हैं निवाड़ी जिले की पृथ्वीपुर तहसील के अतर्रा गांव की. गांव के एक छोर पर पहाड़ी पर मंदिर बना है. जहां 11 साल पहले ग्वालियर के साधु पुरुषोत्तम दास ने आकर डेरा डाला था.साधु ने मेहनत से इस बंजर पहाड़ को हरा-भरा बना दिया है. खास बात ये है कि निवाड़ी बुंदेलखंड का हिस्सा है और यह इलाका भीषण सूखे के चपेट में है. बूंद-बूंद के लिए जनमानस और जानवर परेशान हैं. ऐसे मुश्किल हालात में प्रकृति से अपने प्रेम के चलते ही साधु पुरुषोत्तम दास ने मंदिर के पास पहाड़ी पर पेड़ लगाने शुरू किए. 


साधु ने पहाड़ी के 12 हेक्टेयर इलाके में पेड़ लगाने शुरू किए थे और बाल्टियों में पानी लाकर पेड़ों को उगाना शुरू किया. कड़ी मेहनत और लग्न का ही फल है कि आज यह पहाड़ हरा-भरा हो चुका है. अब यहां आम, नींबू आंवला, अमरूद के अलावा सैंकड़ों तरह के औषधीय पेड़ जैसे सफेद, लाल चंदन, सिंदूर, अश्वगंधा, सतावर, नारियल, आदि के पेड़ लगे हैं. 


गांव के लोगों का कहना है कि पहले यहां गंदगी का आलम था, लोग यहां जाना भी पसंद नहीं करते थे लेकिन बाबा जी की कड़ी मेहनत के कारण आज वही पहाड़ हरी भरी बगिया में तब्दील हो गया है. बाबा जी ने मंदिर के पास के तालाब को जन सहयोग से गहरा भी कराया है. बाबा जी की बदौलत आज गांव का माहौल धार्मिक नजर आने लगा है.