अज्ञात शवों को दफनाने के लिए रतलाम में जमीन नहीं, कभी कचरे तो कभी नालों के पास दफनाएं जा रहे शव
लावारिस और पुलिस द्वारा मर्ग कायमी के बाद अज्ञात शवों के दफनाने के लिए रतलाम में जमीन नहीं है. सुनकर आपको भी हैरानी होगी लेकिन ये हकीकत है.
चंद्रशेखर सोलंकी/रतलाम: लावारिस और पुलिस द्वारा मर्ग कायमी के बाद अज्ञात शवों के दफनाने के लिए रतलाम में जमीन नहीं है. सुनकर आपको भी हैरानी होगी लेकिन ये हकीकत है. ज़ी मीडिया ने हर वर्ग के व्यक्ति की समस्याओं को प्रशासन और सरकार तक पहुंचाया है लेकिन आज उन मृत आत्माओं की दरकार को लेकर ज़ी मीडिया प्रशासन सरकार तक पहुंचाने का प्रयास कर रहा है, जिन मृत आत्माओं के शरीर को मौत के बाद भी सम्मान नहीं मिल पा रहा है.
दरअसल ये पूरा मामला अज्ञात शवों का है. जिन्हें मरने के बाद भी उचित स्थान नहीं मिल पाया है. ये वो शव है जो अलग-अलग कारणों से मृत अवस्था में लावारिस मिले और मर्ग कायमी के बाद इनके परिजन नहीं मिल सके. न इनकी शिनाख्ती हो सकी. ऐसे में इन मामलों में परिजन मिलने की संभावना होने और भविष्य में इनके डीएनए जांच की आवश्यकता पड़ने के कारण इन शवों को किसी भी धर्म सम्प्रदाय का होने के कारण भी सिर्फ दफनाया जाता है. जिसका कारण इन मामलों में यदि एक समयावधि के दौरान इनके परिजन सामने आते है तो इनके शव को परिजन के सुपुर्द किया जा सके और इनके प्रकरण में आगे की कार्रवाई बढ़ाई जा सके.
शवों को दफनाने की कोई व्यवस्थित जगह नहीं
इन शवों को दफनाने के लिए कोई अलग से व्यवस्थित जगह नहीं है. इसके कारण इन शवों को पुलिस समाज-सेवियों की मदद से दफ़नाती तो है लेकिन जिन जगह पर इनको दफनाया जाता है. वह बड़ा शर्मसार करने वाली जगह होती है. क्योंकि ऐसे शवों को कभी ट्रेचिंग ग्राउंड में तो कभी नाले के पास तो कभी पटरियों के किनारे गंदगी के पास दफनाया जाता है. ऐसे शवों को लेकर कई तरह की दुविधाएं बाद ने सामने भी आयी है. परिजन भी अपने मृत सदस्य के शरीर को इस तरह की जगह दफन हुए देख बड़े मायूस और नाराज भी होते है.
समाजसेवियों की मांग भी अधूरी
पुलिस के पास इन शवों के लिए कोई अलग से जगह नहीं है. वहीं जो अज्ञात शवों के लिये समाज सेवी कार्य करते है. उनका कहना हैं कि जिनका अंतिम संस्कार किया जाना है, उन्हें तो हम विधि विधान से अंतिम संस्कार कर देते है लेकिन ऐसे शव जिनमें दफनाना ही कानूनी रूप से जरूरी है, उनके लिए कोई जगह नहीं होने के कारण हम कफ़न व अन्य व्यवस्थाएं तो कर देते हैं लेकिन जगह की कमी कई सालों से है. समाज सेवियों का कहना है कि हमें भी शर्म आती है. जब हम शव को इस तरह से दफन करते है. जिससे मानवीयता शर्मसार होती है, लेकिन हमारे द्वारा कई बार प्रशासन से इन शवों के दफनाने के लिए जगह मांगी गई, लेकिन अब तक इस समस्या का निराकरण नहीं हुआ.
कलेक्टर भी जवाब नहीं दे पाएं
वहीं कलेक्टर से जब इस समस्या पर सवाल किया गया तो कलेक्टर भी इस मामले में फिलहाल अलग से ज़मीन दिए जाने को लेकर जवाब नहीं दे पाए. कलेक्टर भास्कर लाक्षाकार का कहना हैं कि हम पुलिस विभाग को निर्देशित करेंगे कि इस तरह से शव को दफनाने के दौरान जगह को थोड़ा चिन्हित करें. जिससे शवों का अपमान न हो, मानवीयता का ध्यान रखा जाए.
अब देखना यह होगा कि सरकार और प्रशासन इन मृत शवों के लिए सम्मानजनक जगह की तलाश कर पाती है या अब भी इस तरह से अज्ञात शवों को अपमानित होते रहना पड़ेगा. सवाल भी यही की क्या नई सरकार और प्रदेश के नए मुखिया इन हालात को नया बदलाव दे पाएंगे.
रिपोर्ट - चंद्रशेखर सोलंकी