दीपेश शाह/विदिशा: संसद भवन की नई इमारत (New Parliament Building) की झलक आपको जल्द ही देखने को मिलेगी. संसद भवन बनकर तैयार हो गया है. 28 मई रविवार को इस बिल्‍डिंग का उद्घाटन होने जा रहा है. बता दें कि सेंट्रल विस्ता प्रोजेक्ट के तहत बने नए संसद भवन की डिजाइन विदिशा के परमार कालीन विजय सूर्य मंदिर के मॉडल पर तैयार किया गया है. आने वाली 28 मई को इसका उद्घाटन होना है जिसे लेकर तैयारियां की जा रही हैं. विदिशा के इस विजय सूर्य मंदिर का निर्माण परमार काल के शासक राजा कृष्ण के प्रधानमंत्री चालुक्य वंशी वाचस्पति ने 11 वीं सदी में कराया था. मंदिर का निर्माण परमार शैली के अनुरूप भव्य विशाल पत्थरों पर अंकित परमारकालीन राजाओं की गाथाओं से किया गया था.


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विजय सूर्य मंदिर की तर्ज पर बना है नया संसद भवन
मंदिर डेढ़ सौ गज ऊंचा बताया जाता था. मंदिर की भव्यता और विशालता मुगल शासकों को शुरू से ही खटकती रही. 17वीं शताब्दी में मुगल शासक औरंगजेब ने इस मंदिर को 11 तोपों से उड़ा कर पूरी तरह लूट और तोड़कर ज्यादातर मूर्तियों को बर्बाद कर दिया और कुछ अवशेषों को दफन कर उसके ऊपर मस्जिद का निर्माण कराया गया. 1934 की खुदाई में मंदिर के अवशेष मिलने पर यह मामला प्रकाश में आया और गहरी खुदाई पर मंदिर रूपी एक भव्य इमारत सामने आई. उसके बाद आरकेलॉजिक डिपार्टमेंट ने पूरी जगह को अपने हैंडोवर ले लिया. 


फिलहाल मंदिर के पट बंद है. मामला माननीय उच्च न्यायालय में विचाराधीन है. हाल ही में भाजपा प्रवक्ता हितेश वाजपेई ने सोशल मीडिया के माध्यम से नई लोकसभा के डिजाइन के डिजाइन को विजय सूर्य मंदिर से प्रेरित बताया है. हुबहू विजय सूर्य मंदिर विदिशा की तर्ज पर नई लोकसभा का निर्माण हुआ है. प्राचीन विजय सूर्य मंदिर के गेट पर निर्मित दो विशाल स्तंभ नई लोकसभा के प्रवेश द्वार से मेल खाते हैं.


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पुराना संसद भवन का डिजाइन चौंसठ योगिनी मंदिर से प्रेरित है 
गौरतलब है कि पुराने संसद भवन का डिजाइन भी मध्यप्रदेश के मंदिर से ही प्रेरित था. ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने संसद भवन की डिजाइन तैयार की थीं. भवन की गोलाई का आकार मध्यप्रदेश के मुरैना स्थित चौंसठ योगिनी मंदिर से प्रेरित है. ये संसद भवन देखने में काफी विशाल है.