Padma Shri Awards 2024: क्या आप जानते हैं भगवती लाल राजपुरोहित को, जिन्हें पद्म श्री से किया जाएगा सम्मानित
Padma Shri Bhagwati Lal Rajpurohit: इस साल 110 हस्तियों को पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा. ये पुरस्कार एमपी के चार लोगों को भी दिया जाएगा. इसमें हम जानते हैं भगवती लाल राजपुरोहित के बारे में.
Padma Awards 2024: गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर भारत सरकार ने पद्म पुरस्कारों का ऐलान किया. जिसमें 110 हस्तियों का नाम पद्म श्री अवार्ड के लिए घोषित किया है. इसमें मध्य प्रदेश से चार लोगों को पद्मश्री पुरस्कार (Padma Shri Awards 2024) के लिए नामित किया गया है. जिसमें पं.ओमप्रकाश शर्मा, कालूराम बामनिया, भगवती लाल राजपुरोहित और सतेंद्र सिंह लोहिया का नाम शामिल है. इसमें हम आपको बताने जा रहे हैं भगवती लाल राजपुरोहित के बारे में ये कौन हैं और इन्हें किस क्षेत्र में पुरस्कार दिया जाएगा.
कौन हैं भगवती लाल राजपुरोहित
इस साल डा. भगवती लाल राजपुरोहित को भी पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. डॉ. भगवती लाल राजपुरोहित मध्य प्रदेश के धार जिले के चंदोड़िया से ताल्लुक रखते हैं. इन्होंने हिंदी, संस्कृत और प्राचीन इतिहास में एम. ए. पीएच डी की है. ये साहित्य, संस्कृति, हिंदी, मालवी में के विस्तार के लिए अपनी कलम चलाते रहते हैं. इन्होंने भारतीय कला और संस्कृति’ ‘भारतीय अभिलेख और इतिहास’, ‘राजा भोज’ ‘भारत के प्राचीन राजवंश’(तीन भाग) पं. विश्वेश्वरनाथ रेउकृत का सम्पादन, ‘राजा भोज का रचनाविश्व’‘प्रतिभा भोजराजस्य’‘भोजराज’‘कालिदास’‘कालिदास का वागर्थ’‘उज्जयिनी और महाकाल’, ‘विद्योत्तमा’ (उपन्यास); ‘वीणावासवदत्ता’(हिन्दी में), ‘पद्यप्राभृतक’ (हिन्दी में), ‘सेज को सरोज’(मालवी में), ‘हलकारो बादल’ (‘मेघदूत’ का मालवी में) का रूपान्तर; ‘मालवी लोकगीत’ (सम्पादन-अनुवाद) प्रमुख रचनाएं हैं. बता दें कि ये उज्जैन के सांदीपनि महाविद्यालय के स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग में आचार्य और अध्यक्ष रह चुके हैं.
मिल चुका है सम्मान
पद्म श्री पुरस्कार की घोषणा होने से पहले डा. भगवती लाल राजपुरोहित को कई और पुरस्कार से नवाजा जा चुका है. इन्हें 1984 और 1990 में मध्य प्रदेश संस्कृत अकादमी का भोज पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. इसके अलावा मध्य प्रदेश उच्च शिक्षा अनुदान आयोग द्वारा 'डॅा. राधाकृष्णन सम्मान' 1990, 1992 में दिया गया था. साथ ही साथ बता दें कि 1988 में इन्हें म.प्र. साहित्य परिषद का बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. लगातार शिक्षा और साहित्य में इनके योगदान को देखते हुए इन्हें साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में पद्मश्री अवार्ड देने की घोषणा की गई है.