पाकिस्तान FATF की ग्रे-लिस्ट से हुआ बाहर, जानिए क्या होगा फायदा
पाकिस्तान की FATF की ग्रे लिस्ट से पाकिस्तान बाहर हो गया है. पाकिस्तान की डूबती अर्थव्यवस्था को इससे संजीवनी मिल सकती है. जानिए क्या होता है एफएटीएफ और इसकी ग्रे लिस्ट में आने से देशों को क्या नुकसान होता है.
नई दिल्लीः पाकिस्तान की डूबती अर्थव्यवस्था को बड़ा सहारा मिला है. दरअसल फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट से पाकिस्तान बाहर हो गया है. एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट (FATF Gray List) से बाहर होने के बाद पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था (Pakistan Economy) पटरी पर आ सकती है और पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF), वर्ल्ड बैंक (World Bank) और एशियाई विकास बैंक जैसी संस्थाओं से कर्ज लेने में आसानी होगी. पाकिस्तान बीते 4 साल से एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में था. आतंकियों और आतंकी संगठनों को वित्तीय मदद देने के आरोप में पाकिस्तान को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की ग्रे लिस्ट में डाला गया था.
FATF की ग्रे लिस्ट में आने के नुकसान
किसी भी देश के एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में आने का मतलब ये होता है कि वह देश आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर अंकुश लगाने में नाकाम रहा है. एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में आने वाले देशों को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं से कर्ज लेने में भारी परेशानी होती है. अगर कोई देश एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट में शामिल हो जाता है तो इसका मतलब ये है कि उस देश को वित्तीय संस्थाओं से मदद नहीं मिलेगी.
इसके चलते किसी भी देश की आर्थिक परेशानियां बढ़ जाती हैं. निवेश आना बंद हो जाता है और रेटिंग एजेंसी जैसे मूडीज, स्टैंडर्ड एंड पुअर आदि रेटिंग घटा देती है. इसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है. पाकिस्तान 2018 में एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में डाला गया था, अब 4 साल बाद उस पर से यह पाबंदी हटी है.
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की स्थापना 1989 में जी-7 देशों की पहल पर की गई थी. अभी एफएटीएफ के 39 सदस्य हैं, जिनमें भारत भी शामिल है. भारत साल 2010 में एफएटीएफ का सदस्य बना था. इसका मुख्यालय फ्रांस के शहर पेरिस में है. एफएटीएफ का उद्देश्य आतंकी फंडिंग जैसे खतरों को रोकना है.