आकाश द्विवेदी/भोपालः मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर लगातार चल रहा विवाद फिर गर्माया हुआ है. एक बार फिर वार्डों के परिसीमन पर विवाद खड़ा हो गया है, जिससे लग रहा है पंचायत चुनाव का रास्ता फिर अटक सकता है. मामले में नया अपडेट ये है कि अब ग्रामीण नेता हाईकोर्ट जाएंगे. पंचायत चुनाव के ऐलान के बाद से लगातार परिसीमन की प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो रहे हैं. अब ग्रामीण नेताओं का भी आक्रामक रूप दिख रहा है. इससे पहले पंचायत चुनाव ओबीसी आरक्षण के चलते निरस्त हो गए थे. 


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ग्रामीण नेताओं का आरोप है कि वार्डों के अंतिम प्रकाशन में वार्डों में वोटर की संख्या में बदलाव है यानि कम ज्यादा रखी गई है, जो एक समान होने चाहिए. भोपाल के जिला पंचायत अध्यक्ष का आरोप है कि भाजपा विधायकों के दबाव में राजनीतिक लाभ पहुंचाने के लिए परिसीमन में गड़बड़ी हुई है. गौरतलब है कि भोपाल में नए परिसीमन के बाद 35 नई पंचायते बनी हैं. जिला पंचायत अध्यक्ष का आरोप है कि किसी वार्ड में 54 हज़ार मतदाता हैं तो किसी में 22 हज़ार, जबकि नियमानुसार सभी वार्डों में मतदाताओं की संख्या समान होनी चाहिए.


जिला पंचायत अध्यक्ष मनमोहन नागर का कहना है कि परिसीमन को लेकर हम कल हाईकोर्ट जायेगें और सभी वार्डों में समान जनसंख्या की मांग करेंगे. गौरतलब है कि इससे पहले पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद भी मनमोहन नागर समेत अन्य नेता हाईकोर्ट पहुंचे थे, जिसके बाद पंचायत चुनाव निरस्त हुए थे और नए सिरे से परिसीमन कराने का निर्णय लिया गया था.


हाल ही में मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव कब होंगे, इसे लेकर बीजेपी विधायक कृष्णा गौर ने कहा था कि अब रास्ता साफ होने वाला है. ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण दिलाने के लिए राज्य ओबीसी आयोग जल्द ही सरकार को ओबीसी मतदाताओं की जानकारी सौपेंगा. ओबीसी आयोग ने प्रदेश के 40 से अधिक जिलों में ओबीसी वर्ग के मतदाताओं की गिनती का सर्वे पूरा कर लिया है जबकि बाकि के जिलों में भी यह काम तेजी से चल रहा है. 


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