Kubereshwar Dham Sehore: एमपी के सीहोर में स्थित कुबेरेश्वर धाम में आज रुद्राक्ष महोत्सव (Rudraksh Festival) का दूसरा दिन है. ये महोत्सव कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा (Pandit Pradeep Mishra) के कुबेरेश्वर धाम में किया जा रहा है. दूसरे दिन भी यहां भक्तों की संख्या काफी ज्यादा है. यहां पर 5 से 6 लाख की संख्या में श्रद्धालु लाइन में लगे हुए हैं. इस महोत्सव के पहले दिन की बात करें तो यहां पर हालात बेकाबू थे और एक की मौत भी होने की खबर आई थी. ये कार्यक्रम पहले से ही घोषित किया गया था इसके बावजूद भी प्रशासन के इंतजाम से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.


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खाली हाथ नाराज लौटे भक्त
कई भक्त तो ऐसे हैं कि जो सुबह से ही लाइन में लगे रहे इसके बावजूद भी रात तक उन्हें रूद्राक्ष नहीं मिला तो खाली हाथ लौटना पड़ा. भक्तों का कहना है कि इतनी ज्यादा अव्यवस्था होगी इसके बारे में एक भी बार दिमाग में नहीं आया था. हालात ऐसे हैं कि रूद्राक्ष फेंक कर दिए जा रहे हैं. पूजा करने वाले रूद्राक्षों फेंकने की वजह से कई लोग दब भी जा रहें हैं. साथ ही साथ भक्तों का कहना है कि पिछली बार के कार्यक्रम में भी इस तरह की व्यवस्था थी जिससे भक्तों को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ा था.


बदहाल हुआ प्रशासन 
कुबेश्वर धाम में उमड़ने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 10 लाख के पार हो गई है. इसके अलावा कहा जा रहा है कि लगभग 5 से 6 लाख भक्त अब भी लाइन में खड़े होकर रूद्राक्ष लेने की इंतजार कर रहें हैं. इस महोत्सव को लेकर प्रशासन को पहले से ही जानकारी थी इसके बावजूद जिले की लचर पुलिस व्यवस्था ने शहर भर के लोगों को परेशानी में डाल दिया है. यहां का आलम ऐसा है कि सड़कों पर वाहन रेंगते हुए नजर आ रहें हैं भोपाल - इंदौर हाइवे का आवागमन पूरी तरह से अस्त व्यस्त हो गया है. साथ ही साथ लाइन में खड़े भक्तों का काफी मुश्किलों के बाद एक कदम बढ़ता है.


पीने के लिए नहीं है पानी
भक्तों का कहना है कि महोत्सव में आए हुए लोग पानी के लिए तरस रहे हैं. उनका कहना है कि रूद्राक्ष तो दूर यहां पर पानी का इंतजाम नहीं है. किसी की तबियत खराब हो जाएगी तो कौन जिम्मेदारी लेगा. साथ ही साथ कहा कि पंडित जी ने कहा था कि एक महीने का बच्चा आए तो उसे भी रुद्राक्ष देंगे. अब पंडित जी को बताना चाहिए कि कहां गया उनका यह किया हुआ वादा. इस हिसाब से देखा जाए तो महोत्सव में आने वाले लोगों को काफी दिक्कतों को सामना करना पड़ रहा है.