पन्ना में BMO पर 50 लाख के घपले का आरोप, इस तरह हुआ पूरा खेल
Panna News: मध्य प्रदेश के पन्ना जिले के स्वास्थ्य विभाग में हुए 50 लाख रुपए के घोटाले का मामला सामने आया है. मामले में पन्ना के अजयगढ़ थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है.
MP News: बुंदेलखंड अंचल के पन्ना जिले में एक बड़ा घोटाला सामने आया है. जहां एक बीएमओ ने स्वास्थ्य विभाग को 50 लाख रुपए की चपत लगा दी. जब यह मामला खुला तो पूरे जिले के स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया. जिसके बाद कलेक्टर के निर्देश पर मामला एसपी तक पहुंचा और फिर एफआईआर दर्ज की गई है. फिलहाल अजयगढ़ थाने की पुलिस को इस मामले की जांच सौंपी गई है. जिसमें घोटाले के मुख्य मास्टरमाइंड अजयगढ़ के तत्कालीन BMO डॉ. केपी राजपूत के साथ तीन अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया है.
एसपी तक पहुंचा मामला
दरअसल, शिकायतकर्ता सुरेश यादव की शिकायत पर कलेक्टर के निर्देश और सीएमएचओ के मार्गदर्शन में स्वास्थ्य विभाग की तीन सदस्यीय टीम ने मामले की जांच की थी और डॉ. केपी राजपूत को घोटाले के मामले में दोषी भी पाया था. लेकिन इसके बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई थी. तब शिकायतकर्ता ने पन्ना जिले के एसपी को आवेदन दिया था. जहां पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर पन्ना एसडीओपी ने फिर से जांच की थी. जिसमें पाया गया कि डॉ. केपी राजपूत ने अपने कर्मचारियों के साथ मिलकर 3 लाख 60 हजार रुपये से अधिक का गबन किया है. जांच में पता चला कि सब्जी, फल, दूध, किराना आदि के बिलों के पैसे अपने भतीजे और सफाई कर्मचारियों के खातों में जमा कर घोटाला किया गया है.
लाखों का घोटाला
शिकायतकर्ता सुरेश यादव ने बताया कि अजयगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सहित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चंदौरा और खोरा में मरीजों और दाइयों की खुराक, सफाई कर्मचारियों की राशि, रोगी कल्याण समिति आदि की राशि डॉ. केपी राजपूत और अन्य के नाम पर स्थानांतरित कर दी गई. रिश्तेदार और परिचित. भुगतान कर सरकारी धनराशि का गबन कर लिया गया. इन सबकी जांच की जाए तो करीब 50 लाख रुपये का घोटाला सामने आएगा. मामले में अजयगढ़ के तत्कालीन BMO डॉ. केपी राजपूत, अकाउंटेंट वीरेंद्र कुमार अहिरवार, ब्लॉक प्रोग्राम मैनेजर रुचि शर्मा और बीएमओ के भतीजे दीपक राजपूत के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.
चर्चा में पूरा मामला
डॉ. केपी राजपूत पहली बार तब चर्चा का विषय बने जब उन्होंने जिला अस्पताल पन्ना के पास अपनी पत्नी के नाम पर एक निजी अस्पताल खोला, जिसके बाद से वह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की बजाय अपने निजी अस्पताल में अधिक समय बिताने लगे. अब इस बड़े घोटाले के उजागर होने के बाद डॉ. केपी फिर से चर्चा का विषय बन गए है. इस बड़े घोटाले में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी गई है.
पन्ना से पीयूष शुक्ला की रिपोर्ट
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