Parivarvad In BJP: भोपाल। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने मुहिम छेड़ रखी है. इस बीच उसेके नेता और मंत्रियों के बयान टेंशन पड़ा पहे हैं. एक तरफ बीजेपी देशभर में भाजपा, कांग्रेस समेत अन्य दलों के परिवारवाद के खिलाफ बोल रही है. दूसरी तरफ मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार क नए नवेले मंत्री परिवारवाद की वकालत करते नजर आ रहे हैं. कुछ दिनों पहले शिवराज सरकार में मंत्री बने गौरीशंकर बिसेन का एक बयान सामने आया है इसमें वो परिवारवाद की वकालत करते नजर आ रहे हैं.


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पार्टी लाइन से इतर बयान
मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने की बीजेपी पार्टी लाइन से इतर की परिवारवाद वकालत की है. उन्होंने कहा कि नेता पुत्र और पुत्रियों को टिकिट देनी चाहिए. बीसेन ने कहा 'मैंने नेतृत्व से आग्रह किया यह युवा को मौका दें, परिवार वाद की परिभाषा भी क्लियर करिए'.


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बेटी- हकदार, दावेदार होगी विजयश्री
अपने बेटी को लेकर उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को अवसर देना चाहिए. बेटा-बेटी होना परिवारवाद नहीं है. वो पहले बीजेपी का कार्यकर्ता हैं. अपनी बेटी मौसम को लेकर बिसेन बोले-  मौसम टिकिट की हकदार भी हैं और दावेदार भी हैं. उनकी विजयश्री भी होंगी.


39 टिकटों में दिखा परिवारवाद
- ध्रुव नारायण सिंह को भोपाल मध्य से टिकट, ध्रुव पूर्व सीएम गोविंद नारायण सिंह के बेटे हैं. वे 2008 से 2013 तक भोपाल मध्य सीट से विधायक रहे हैं.
- सरला रावत को सबलगढ़ से टिकट, सरला BJP के पूर्व विधायक मेहरबान सिंह रावत की बहू हैं. उन्हें सबलगढ़  पहले भी टिकट मिल चुका है.
- वीरेंद्र सिंह लंबरदार को बंडा से टिकट, वीरेंद्र दमोह से पूर्व सांसद शिवराज सिंह के बेटे हैं. ये चुनाव में इस सीट के लिए BJP की ओर से नया चेहरा है.
- जयदीप पटेल को कुक्षी से टिकट, जयदीप पूर्व मंत्री रंजना बघेल के भतीजे हैं. जयदीप पार्टी का नया चेहरा हैं, जिन पर दांव खेला गया है.
- कामाख्या प्रताप को महराजपुर से टिकट, कामाख्या पूर्व मंत्री मानवेंद्र सिंह के बेटे हैं.
- नीरज सिंह को बरगी से टिकट, नीरज पूर्व विधायक प्रतिभा सिंह के बेटे हैं. 2018 में प्रतिभा सिंह यहां से हार गईं थी.
- प्रीतम लोधी को पिछोर से टिकट, प्रीतम पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के रिश्तेदार हैं. पिछले साल प्रीतम लोधी ने ब्राह्मण समुदाय को लेकर एक विवादित बयान दिया था.
- निर्मला भूरिया को पेटलावद से टिकट, निर्मला पूर्व सांसद दिलीप सिंह भूरिया की बेटी और पूर्व राज्य मंत्री हैं.


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इन नामों से ये तो जाहिर हो चुका है कि BJP ने तगड़ी रणनीति तय करने के साथ-साथ पार्टी में नाराजगी न हो इसलिए वंशवाद का भी ख्याल रखा है. हालांकि, अभी प्रदेश की कई ऐसी सीटें हैं जहां एक नहीं बल्कि 2-3 उम्मीदवार हैं. वहां पार्टी कैसे नेताओं को संतुष्ट करती है ये तो आने वाला वक्त बताएगा.


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