Ashadha Amavasya 2023: आषाढ़ अमावस्या पर दिन ढलने के बाद चुपके से कर लें ये टोटका, कभी नहीं होगी धन की कमी
Ashadha Amavasya 2023 Date: आषाढ़ अमावस्या का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दिन किए गए टोटके घर में धन की कमी नहीं होने देते हैं. ऐसे में अमावस्या के दिए कई तरह के उपाय किए जाते हैं. आइए जानते हैं उन उपायों के बारे में.
अमावस्या के दिन पूरे विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है. इस दिन पितरों का तर्पण कर उनसे आशीर्वाद पाया जाता है. इस दिन पूजा-पाठ और दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है.आषाढ़ अमावस्या के दिन कई तरह के उपाय किए जाते हैं, जिनसे पितृदोष, कालसर्प दोष से मुक्ति से मुक्ति मिलती है.
आषाढ़ अमावस्या पर करें ये टोटके
यदि आपकी कुंडली में कालसर्प दोष है तो आषाढ़ अमावस्या के दिन सुबह स्नान के बाद नदी के तट पर नाग-नागिन के जोड़े की पूजा करनी चाहिए. पूजा के बाद इसे नदी में प्रवाहित कर दें.ऐसा करने से कुंडली से कालसर्प दोष खत्म हो जाता है.
कुंडली में कालसर्प दोष है तो आषाढ़ अमावस्या के दिन भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए साथ ही शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए. ऐसा करने से कालसर्प दोष दूर होता है. लेकिन भगवान शिव की पूजा राहुकाल में ही करें.
पितृदोष से मुक्ति पाना चाहते है तो आषाढ़ अमावस्या के दिन शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए. ऐसा करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है. इसके अलावा आषाढ़ अमावस्या के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत होकर पितरों का तर्पण करना चाहिए.
धन लाभ के लिए भी आषाढ़ अमावस्या का दिन काफी अच्छा माना जाता है. धन लाभ के लिए आषाढ़ अमावस्या के दिन शाम को घी के दीपक में केसर मिलाकर घर की चौखट पर रखे दें. ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है, जिससे घर में धन का आगमन होता है.
अगर आप पापों से मुक्ति पाना चाहते हैं तो आषाढ़ अमावस्या के दिन आटे में चीनी मिलाकर चीटियों को खिलाना चाहिए. ऐसा करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं. इसके अलावा आपको जीवन में तरक्की भी मिलती है.आषाढ़ अमावस्या पर नदी में मछलियों को आटे की गोलियां खिलाना चाहिए. ये उपाय अपनाने से आपके दोष दूर हो जाएंगे और आने वाली परेशानियों से आपको राहत मिलेगी.
आषाढ़ अमावस्या के दिन पीपल पर कलावा बांधना काफी ज्यादा शुभ माना जाता है. ऐसा करने से पितृ दोष दूर होता है. पीपल पर कलावा बांधने के बाद 108 बार परिक्रमा करना भी करनी चाहिए. इससे शनि देव भी खुश होते हैं.