Gotmar Mela: MP के नए जिले में खूनी संघर्ष, हर ओर से पत्थर ही पत्थर, अब तक 12 की मौत
Gotmar Mela: दुनियाभर में मशहूर MP का गोटमार मेला आज एक बार फिर खेला जाएगा. हाल ही में घोषित हुए मध्य प्रदेश के नए जिले पांढुर्णा में हर साल खूनी संघर्ष होता है. सदियों पुरानी चली आ रही परंपरा के मुताबिक लोग एक-दूसरे पर जमकर पत्थर बरसाते हैं. गोटमार मेला आयोजन में साल 1955 से अब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है. जानिए कि आखिर हर साल होता है ये खूनी संघर्ष और क्या है इसके पीछे की कहानी-
MP के नए जिले पांढुर्णा में हर साल गोटमार मेले का आयोजन होता है. गोटमार मेले में लोग पुरानी परंपरा के तहत एक-दूसरे पर पत्थर बरसाते हैं. अब तक पांढुर्णा छिंदवाड़ा जिले में आता था. यहां होने वाली खूनी खेल को लेकर एक कहानी है.
गोटमार मेला को लेकर माना जाता है कि पांढुर्णा का युवक सावरगांव की युवती को भगा ले गया था. दोनों जैसे ही जाम नदी के पास पहुंचे तो युवती के परिजनों ने युवक पर पथराव शुरू कर दिया.
इस बात की जानकारी जब युवक पक्ष को लगी तो वे लोग नदी के इस पार आ गए और प्रेमी जोड़े के बचाव में पत्थर फेंकने लगे. नदी के बीच में मौजूद जोड़े की मौत हो गई, लेकिन पथराव जारी रहा.
प्रेमी जोड़े की मौत के बाद गांववालों ने उनके शव को मां चंडिका के दरबार में ले जाकर रखा और फिर अंतिम संस्कार किया.
इस घटना की याद में हर साल पहले गांववाले प्रसिद्ध मां चंडी देवी के मंदिर जाते हैं और पूजा करते हैं. इसके बाद नदी के दोनों किनारों से पत्थरबाजी का खूनी खेल शुरू होता है.
इस आयोजन के दौरान साल 1955 से अब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि हर साल कई लोग घायल होते हैं.
मेले के दौरान शराब ब्रिकी, गाली-गलौज और मारपीट करने पर सख्त मनाही है. जो भी ऐसा करता है उसके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाता है.
गोटमार मेला आयोजन के दौरान बड़ी संख्या में पुलिस बल और प्रशासन तैनात रहता है.