काशी विश्वनाथ के पुनर्निर्माण में इंदौर की अहम भूमिका, इस रानी ने दिया था योगदान
Indore Ahilya bai Story : इंदौर का नाम आते ही पोहा, सफाई और होलकर राजवंश याद आता है. इस राजवंश की महारानी अहिल्या बाई होलकर से प्रदेश में हर कोई वाकिफ है. रानी, शिव की भक्त थीं और उन्होंने उन मंदिरों को फिर से बनवाया था, जो आक्रांताओं ने तोड़ दिए थे. इसी क्रम में रानी ने काशी के विश्वनाथ मंदिर का भी पुनर्निर्माण करवाया था.
2021 में जब काशी विश्वनाथ मंदिर का कॉरिडोर बन कर तैयार हुआ था, उस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने इंदौर की रानी का जिक्र करते हुए कहा था कि "मंदिर के पुनर्निर्माण में माता अहिल्याबाई होल्कर की भूमिका उल्लेखनीय है."
काशी के विश्वनाथ भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं. इस ज्योतिर्लिंग को लेकर ऐसा माना जाता है कि 1669 में मुगल बादशाह औरंगजेब ने मंदिर को तोड़ कर उसके ऊपर मस्जिद बनवाई थी.
ऐसा माना जाता है कि औरंगजेब के आदेश के बाद विश्वनाथ का मंदिर ध्वस्त कर दिया गया था, लेकिन स्वयंभू ज्योतिर्लिंग को साथ लेकर मंदिर के महंत ज्ञानवापी कुंड में कूद गए थे, जिससे यह सुरक्षित रहा था.
हमले के दौरान मुगल सेना ने मंदिर के बाहर विराजे नंदी की मूर्ति को तोड़ने का भी कोशिश की थी, लेकिन बहुत कोशिशों के बाद भी नंदी की प्रतिमा को सेना नहीं तोड़ सकी.
विकिपीडिया की मानें तो इस टूटे मंदिर को अहिल्याबाई ने 1780 में बनवाया था. इसके बाद जब साल 2021 में बनकर तैयार हुआ विश्वनाथ मंदिर के कॉरिडोर में अहिल्याबाई की प्रतिमा भी लगाई गई है.
मल्हारराव होलकर , इंदौर के होलकर राजघराने के संस्थापक थे. इनके बेटे हुए खांडेराव होल्कर और इनकी शादी रानी अहिल्याबाई से हुई. लेकिन 1754 कुम्भेर के युद्ध में पति खांडेराव की मौत हो गई. 12 साल बाद ससुर मल्हारराव होलकर भी नहीं रहे.दो साल बाद अहिल्याबाई के इकलौते बेटे मालेराव का भी 21 साल की उम्र में देहांत हो गया था.
ससुर मल्हारराव होलकर ने मराठा सरदार दत्ताजी सिंधिया के साथ मिलकर काशी विश्वनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण को लेकर काफी कोशिश की, लेकिन कई कारणों के चलते वह सफल नहीं हो पाए, लेकिन साल 1777 से 1780 के बीच रानी अहिल्याबाई होल्कर मंदिर निर्माण कराने में सफल रहीं.
पति, ससुर और बेटे की मौत के बाद अहिल्याबाई ने खुद होलकर राजवंश और इंदौर के मामलों को संभाला था. उन्होंने आक्रांताओं के खिलाफ मालवा राज्य की रक्षा की और युद्ध में सेनाओं का नेतृत्व भी किया.
शिव की भक्त रानी अहिल्याबाई ने श्री तारकेश्वर, श्री गंगाजी, अहिल्या द्वारकेश्वर, गौतमेश्वर, बिहार का विष्णुपद मंदिर सहित कई और मंदिर श्रीनगर, हरिद्वार, केदारनाथ, बद्रीनाथ, ऋषिकेश, प्रयाग, वाराणसी, पुरी, रामेश्वरम, सोमनाथ, नासिक, ओंकारेश्वर, महाबलेश्वर, पुणे, इंदौर समेत कई और स्थानों पर बनवाये.