Mahakala Photo: अंतिम शाही सवारी में ठाठ से निकले महाकाल, तस्वीरों में करें 6 स्वरूपों के दर्शन
श्रावण व भादौ माह की अंतिम व शाही सवारी राजसी ठाठ बाट से नगर भ्रमण पर बाबा महाकाल निकले और भकतों को छः स्वरूपों में दर्शन दिए. बाबा की इस सवारी में केंद्रीय मंत्री ज्योतीरादित्य सिंधिया भी शामिल हुए. आप भी करें एक बाबा के छः स्वरूपों के दर्शन...
श्रावण व भादौ माह में प्रत्येक वर्ष सोमवार पर परंपरा अनुसार ठीक शाम 4 बजे निकलने वाली बाबा महाकालेश्वर की सवारी इस वर्ष 22 अगस्त को छठी व आखरी सवारी रही. छः स्वरूपो में भगवान महाकाल ने दर्शन दिए. श्री राम घाट पर पूजन के दौरान राजघराने से हमेशा की तरह ज्योतिररादित्य सिंधिया शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने कहा कि सिंधिया ने कहा देश मे सुख समृद्वि बनी रहे. बाबा का पूजन करना सौभाग्य की बात है जो हादसा स्कूली बच्चो के साथ उज्जैन में हुआ मेरी संवेदना उनके परिवार के प्रति है. भगवान महाकाल घायलों को जल्द स्वस्थ करें.
सवारी में रजत जड़ित पालकी में भगवान श्री महाकाल श्री चन्द्रमोलीश्वर स्वरूप में विराजित रहें, हाथी पर श्री मनमहेश, गरूड रथ पर श्री शिव तांडव प्रतिमा, नंदी रथ पर श्री उमा महेश जी के मुखारविंद, डोल रथ पर श्री होलकर स्टेट का मुखारविंद व बैलगाड़ी में डोल रथ पर श्री सप्तधान मुखारविंद विराजित होकर नगर भ्रमण पर निकले.
सवारी के निकलने के पूर्व 3 बजे से 4 बजे के बीच सभामंडप में पूजन-अर्चन शासकीय पुजारी पं.घनश्याम शर्मा द्वारा आईजी व कमिश्नर ने सपत्नीक किया. भगवान श्री महाकालेश्वर का षोडशोपचार से पूजन-अर्चन हुआ, इसके पश्चात भगवान की आरती की गई, पूजन के पश्चात पालकी को आईजी, कमिश्नर ने उठा कर आगे बढ़ाया.
मंदिर के मुख्य द्वार पर बाबा को पुलिस बल द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. इस दौरान झुमते नाचते गाते और भगवन का स्वागत करने को आतुर राह में खड़े रहे. जय श्री महाकाल के जयकारों से गूंज उठी अवंतिका नगरी.
चुकी आज सवारी शाही व अंतिम थी. तेज बारिश के बावजूद भक्त बाबा की एक झलक पाने को नगरी में बड़ी संख्या में दूर दूर से पहुंचे. देश के अलग-अलग राज्यो से बैंड, भजन गायक व वादन कलाकारों द्वारा पूरी नगरी को भक्ति मय रंग में रंगा गया. महाकालेश्वर मन्दिर से सवारी, महाकाल घाटी, होते हुए क्षिप्रा नदी पहुंची, जहां पुजारियों व सिंधिया स्टेट द्वारा पम्परा अनुसार पूजन के बाद भगवान तय मार्ग से भ्रमण करते हुए मंदिर लौटे.
मंदिर के मुख्य द्वार से क्षिप्रा तट तक सांस्कृतिक कला कही जाने वाली भव्य रंगलोगी बनाई गई. वहिं क्षिप्रा नदी स्तिथ सवारी मार्ग को रेड कारपेट से बिछाया गया और भगवा ध्वज लगाए गए. आतिशबाजीयां आगे-आगे की गई. शुरूआत तोप की आवाज और केसरिया ध्वज लहराते हुए की गई. उसके पश्चात पुलिस बैण्ड द्वारा सुंदर सी धुन बजा कर बाबा का स्वागत किया गया.