MP में सबसे पहले यहां होता है सूर्यास्त; 3 गांवों में नहीं पहुंचती है रोशनी, क्या है पातालकोट का रहस्य?

MP News: मध्य प्रदेश में कई रहस्यमयी स्थान हैं जहां पर लोग जाना पसंद करते हैं, प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में पातालकोट नाम का एक स्थान हैं, जहां पर केवल 5 घंटे सूरज की रोशनी पड़ती है. इसके कई ऐसे गांव हैं जहां पर सूरज की रोशनी ही नहीं पड़ती है.

अभिनव त्रिपाठी Jan 08, 2025, 19:30 PM IST
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मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा स्थित पातालकोट में काफी ज्यादा आनंद मिलता है, पृथ्वी की कोख में स्थित यह प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर इलाका धरातल से 3 हजार फीट नीचे बसा हुआ है, इन वादियों में बसे 12 गांव को सूरज के दर्शन केवल 5 घंटे ही हो पाते हैं.

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सुबह 11:00 बजे यहां सूर्य निकलता है और शाम के 3:00 बजे यहां की संध्या होने लगती है, इसकी मुख्य वजह चारों ओर से विशालकाय पहाड़ी से घिरे इस इलाके में सूरज 5 घंटे देरी से दिखाई देता है और 3 घंटे पहले यहां सूरज डूबने लगता है, यहां तीन गांव ऐसे हैं जहां पर सूरज की किरणें पड़ती ही नहीं है.

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इन तीन गांव में दिन में भी अंधेरा छाया रहता है, बावजूद इसके यहां की प्राकृतिक सुंदरता आपको अपनी ओर खींच लेती है, पातालकोट में बसे 12 गांवों की आबादी 3200 है, इस इलाके में भारिया जनजाति निवास करती है, जिन्हें पक्की सड़क मिल सके इसलिए सरकार ने यहां के 9 गांव तक पक्की सड़क का निर्माण करवाया है. 

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पातालकोट के जड़मादल, हर्रा कछार,सेहरा पचगोल,सुखा भंडारमऊ सहित 12 गांव की अपनी अलग ही दुनिया है, भारिया जनजाति पर रिसर्च करने वाले जानकारों की माने तो शुद्ध प्राकृतिक वातावरण में यहां के लोग रहते हैं, जिन्हें बाहरी दुनिया से ज्यादा सरोकार नहीं होता है, पहाड़ों से घिरे होने की वजह से यहां सूरज बहुत देरी से पहुंचता है और कुछ समय रहने के बाद यहां जल्द ही अंधेरा छाने लगता है.

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पातालकोट में निवास करने वाली जनजाति की जीवन शैली के अपने तौर तरीके हैं,जो अपनी परंपरा के अनुसार जीवन जीते हैं, चौंकाने वाली बात यह है कि इन 12 गांव में जहां दुनिया कोरोना संक्रमण झेल रही थी और कई मौतें उसे दौरान हुई, लेकिन पातालकोट के इन 12 गांव में कोरोना संक्रमण पहुंच नहीं पाया.

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जनजाति बाहुल्य इस इलाके में जड़ी बूटियां और वनों ऊपज के सहारे ही यहां के लोग अपना जीवन यापन करते हैं, खास बात यह है कि यहां की जड़ी बूटी विश्व प्रसिद्ध है. कई तरह की जड़ी बूटियां केवल पातालकोट इलाके में ही मिलती है, जिन्हें लेने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं, यहां के लोगों का दूसरा प्रमुख संसाधन जंगली शहर और मोटा अनाज ही है, जिसके भरोसे यहां की जनजाति अपना जीवन यापन करती है. 

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पातालकोट में कीमती जड़ी बूटियां होने की वजह से सरकार ने भी इस इलाके को बायोडायवर्सिटी एरिया घोषित कर रखा है, इस इलाके के उत्थान के लिए सरकार कई प्रयास कर रही है, यहां की भारिया जनजाति को मुख्य धारा में जोड़ने के लिए सरकार ने इस जनजाति को पातालकोट का मालिकाना हक दे दिया है.

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अब इन 12 गांव में भारिया जनजाति की अनुमति के बिना यहां की जल,जंगल,जमीन पर कोई अपना अधिकार नहीं जाता पाएगा,  पातालकोट देश का ऐसा पहला इलाका बन गया है जहां हैबिटेटस के तहत पूरा इलाका भारिया जनजाति के नाम किया गया है.

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पातालकोट की खूबसूरत वादियों से देश को रूबरू करवाने के लिए बीते दिनों यहां पर एडवेंचर फेस्टिवल करवाया गया, जिसमें देश और विदेश से बड़ी संख्या में सैलानी पहुंचे और पातालकोट की मनमोहक वादियों के दीवाने हो गए, समय चक्र के 19 घंटे अंधेरों में बिताने वाला पातालकोट इलाका,अब अपनी इन्हीं खूबियों के कारण देश और विदेशों में अलग पहचान बना रहा है.

रिपोर्ट- रूपेश कुमार 

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