Narmada Story: एक नहीं तीन हैं नर्मदा नदी की प्रेम कहानियां, अंत जान कर दुखी हो जाएंगे

Narmada Love Story: मध्य प्रदेश के जीवन रेखा कही जाने वाली नर्मदा नहीं के बारे में 3 प्रेम कहानियां प्रचलित हैं. आइये अमरकंटक के निकलने वाली नर्मदा जानें ये कौन-कौन से कहानियां हैं.

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नर्मदा की प्रेम कहानियां

नर्मदा की प्रेम कहानियां लोकगीतों और लोक कथाओं में अलग-अलग मिलती है लेकिन हर कथा का अंत वही है कि सोनभद्र को नर्मदा की दासी जुहिला के साथ संबंधों के चलते ही नर्मदा नदी उल्टी दिशा में चल पड़ीं थी. जानिए नर्मदा की तीन अलग प्रेम कहानियां. 

 

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कथा 1

नर्मदा और सोनभद्र की शादी होने वाली थी. विवाह मंडप में बैठने से पहले नर्मदा को पता चला की सोनभद्र को उसकी दासी जुहिला पसंद है. नर्मदा ये अपमान सहन नहीं कर पाई और मंडप से उल्टी दिशा में चली गई. 

 

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सोनभद्र को जब अपनी गलती का एहसास हुआ तो वह भी नर्मदा के पीछे-पीछे भागे. नर्मदा को रोकने के लिए सोनभद्र गुहार लगाते हुए कहा कि लौट आओ नर्मदा लेकिन वह लौटी नहीं. कहा जाता है कि इसलिए नर्मदा नदी भारत के बाकी प्रमुख नदियों से विपरीत में बहती है.

 

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कथा 2

इस कथा में नर्मदा को रेवा नदी के नाम से जाना गया है. कथा में राजा मैकल की पुत्री राजकुमारी नर्मदा है. एक दिन राजा मैकल ने घोषित किया की जो दुर्लभ फुल गुलाब कली उनकी पुत्री के लिए लाएगा वह उसी से नर्मदा की शादी करवाएंगे. सोनभद्र राजकुमारी के लिए वह दुर्लभ फुल ले आए. 

 

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नर्मदा ने सोनभद्र को कभी देखा नहीं था पर मन ही मन उसे चाहने लगी थी. विवाह से कुछ दिन पहले नर्मदा ने अपनी दासी जुहिला के हाथों प्रेम पत्र भेजने का सोचा. जुहिसा राजकुमारी के वस्त्र आभूषण पहन कर सोनभद्र से मिलने चली गई . सोनभद्र दासी को नर्मदा समझ बैठे. सोनभद्र के प्रणय निवेदन को दासी ठुकरा ना पाई. 

 

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इधर जुहिला के आने में देरी हुई तो नर्मदा खुद चल पड़ी. सोनभद्र और जुहिला को साथ देखकर नर्मदा को बहुत गुस्सा आया. वह तुरंत वहां से उल्टी दिशा में चल पड़ी. सोनभद्र को अपनी गलती पर पछतावा हुआ लेकिन स्वाभिमान नर्मदा ने एक बार भी पलट के नहीं देखा. 

 

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कथा 3

बात कई हजार साल पहले की है. नर्मदा नदी बनकर जन्मीं थी और सोनभद्र नद बनकर जन्मे थे. दोनों का बचपन साथ में बीता था. बचपन खत्म हुआ और दोनों किशोर हो गए.दोनें के बिच का प्रेम भी समय के साथ बड़ा. दोनों ने कसमें खाई थी की जीवन भर एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ेंगे और एक दूसरे को कभी  धोखा नहीं देंगे. 

 

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एक दिन अचानक रास्ते में सोनभद्र को नर्मदा की सखी जुहिला नदी मिली. सोलह श्रृंगार में सजी जुहिला ने अपनी अदाओं से सोनभद्र को मोह लिया था. उसके मोह में सोनभद्र अपनी सखी नर्मदा को भी भूल गया था. नर्मदा ने बहुत कोशिश की सोनभद्र समझे लेकिन सोनभद्र तो जैसे जुहिला के लिए पागल सा हो गया था. 

 

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नर्मदा उसे छोड़ कर चली गई, कहते हैं तभी से नर्मदा ने अपनी दिशा बदल दी थी.नर्मदा नदी बंगाल सागर की यात्रा छोड़ कर अरब सागर की ओर चल गई थी.  हमारे भारत की सभी बड़ी नदियां बंगाल सागर में जा के मिलती हैं लेकिन नर्मदा अरब सागर में मिलती हैं. 

 

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