International Day of Peace: कलिंग के रक्तपात के बाद सम्राट अशोक ने इस जगह पर त्यागे थे हमेशा के लिए हथियार
International Day of Peace: सम्राट अशोक का शासनकाल 269 ईसा पूर्व से 232 ईसा पूर्व था. पने शासनकाल के नौवें साल में उन्होंने कलिंग से युद्ध लड़ा जिसमें भयानक रक्तपात हुआ. इससे विचलित होकर उन्होंने शांति के लिए बौद्ध धर्म अपना लिया.सम्राट अशोक ने जिस नदी के किनारे अपने शस्त्र रखे थे, उसका नाम दया नदी है और जिस जगह यह प्रक्रिया हुई, वहां आज फेमस विश्व शांति स्तूप बना है. 21 सितंंबर को पूरी दुनिया में विश्व शांति दिवस मनाया जाता है.
ओडिशा में है विश्व शांति स्तूप
पूरी दुनिया में 21 सितंबर को विश्व शांति दिवस मनाया जा रहा है. युद्ध के बाद यदि शांति का कोई पुजारी इतिहास में मिलता है तो उनका नाम है सम्राट अशोक. सम्राट अशोक ने कलिंंग युद्ध की मारकाट के बाद हमेशा के लिए शांति को अपना आधार बनाया. सम्राट अशोक ने जिस नदी के किनारे अपने शस्त्र रखे थे, उसका नाम दया नदी है और जिस जगह यह प्रक्रिया हुई, वहां आज फेमस विश्व शांति स्तूप बना है. ये जगह ओडिशा के धौली में है जो ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर से करीब 8 किलोमीटर की दूरी पर है. (Photo credit:Shyam sundar goyal)
दया नदी के किनारे रखे थे शस्त्र
सम्राट अशोक का शासनकाल 269 ईसा पूर्व से 232 ईसा पूर्व था. वे मगध सम्राज्य के सम्राट थे जिसकी राजधानी पाटिलिपुत्र थी. अपने शासनकाल के नौवें साल में उन्होंने कलिंग से युद्ध लड़ा जिसमें भयानक रक्तपात हुआ. इससे विचलित होकर उन्होंने शांति के लिए बौद्ध धर्म अपना लिया. सम्राट अशोक ने इसी दया नदी के पास अपने शस्त्र हमेशा के लिए रखे थे. (Photo credit:Shyam sundar goyal)
50 साल पहले बना था स्तूप
धौली में जो विश्व शांति स्तूप बना है, उसके पास हर साल कलिंग महोत्सव भी होता है. इस स्तूप का निर्माण 1972 में पूरा हुआ था जिसका लोकार्पण 22 अक्टूबर 1972 को हुआ था. इस साल धौली के शांति स्तूप को 50 साल होने जा रहे हैं. इस वजह से यहां दुनियाभर के लोगों को जमावाड़ा होना है. (Photo credit:Shyam sundar goyal)
महात्मा बुद्ध् का बनी हैं प्रतिमाएं
धौली के शांति स्तूप को राजगीर के शांति स्तूप के बाद बनाया गया था. स्तूप में चार खुले कक्ष बने हुए हैं जिनमें महात्मा बुद्ध की प्रतिमाएं लगी हुई हैं. इसी विश्व शांति स्तूप की नकल दिल्ली के इंद्रप्रस्थ पार्क में बनी हुई है. (Photo credit:Shyam sundar goyal)
जानकारी देने वाला लगा है बोर्ड
इस स्तूप का निर्माण कैसे हुआ और किन लोगों ने इसमें सहयोग किया, इसका सारा विवरण स्तूप के एंट्री गेट पर लिखा हुआ है. इस बोर्ड में ये बताया गया है कि इस जगह की ऐतिहासिकता क्या है और इस जगह का क्या महत्व है. (Photo credit:Shyam sundar goyal)
अशोक के मिलते हैं शिलालेख
धौली में स्तूप के पास ही सम्राट अशोक के शिलालेख मौजूद है. इसमें सम्राट अशोक की राजाज्ञाएं खुदी हुई हैं. (Photo credit:Shyam sundar goyal)
खास तरह का है अशोक स्तम्भ
धौली में ही अशोक स्तम्भ भी बना हुआ है. अशोक के विश्व प्रसिद्ध पत्थर के स्तम्भों में से एक यहीं पर बना है. इस स्तम्भ के ऊपर सारनाथ की तरह ही 4 सिंह बने हैं लेकिन इस जगह उनका आकार छोटा है. इस स्तम्भ में सम्राट अशोक के जीवन से जुड़े तथ्यों का वर्णन किया गया है. (Photo credit:Shyam sundar goyal)