चौथे सोमवार पर महाकाल के दरबार में लगा भक्तों का तांता; शाही सवारी में इस रूप में दर्शन देंगे देवाधिदेव महादेव
Ujjain Mahakal Fourth Monday of Sawan: आज सावन का चौथा सोमवार है, चौथे सोमवार के अवसर पर उज्जैन महाकाल में भक्तों का तांता लगा है. दक्षिण मुखी श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेष भस्मार्ती का भक्तों ने दर्शन किया. इसके अलावा प्रदेश भर के शिवालयों पर भारी तादात में भक्त दर्शन करने पहुंच रहे हैं. आज चौथे सोमवार पर बाबा महाकाल नगर भ्रमण के लिए निकलेंगे. बता श्रावण मास की 4 या 5 सवारियां होती है और 2 सवारी भाद्र पद (भादौ मास) की होती है जिसमें बाबा नगर भ्रमण पर हर सोमवार भक्तों का हाल जानने उन्हें आशीर्वाद देने खुद शाही ठाठ बाट के साथ निकलते हैं. जानिए आज कैसे रहेगी व्यवस्था.
आज सावन के चौथे सोमवार पर बाबा महाकाल मंदिर के द्वार सुबह 02:30 बजे खोल दिए गए. सुबह भस्मार्ती के दौरान कार्तिकेय मण्डपम् की अंतिम 3 पंक्तियों से श्रद्धालुओं के लिये चलित भस्मार्ती दर्शन की व्यवस्था गई थी जिसका अधिक से अधिक भक्तों ने लाभ लिया.
आज सबसे पहले बाल भद्र की पूजा हुई, उसके बाद भगवान के डेली का पूजन हुआ और घण्टाल बजा कर भगवान को संकेत दिया गया कि हे महादेव महाकाल हम आपके द्वार खोल रहे हैं.
प्रवेश के बाद भस्म से स्नान करवाया जाता है जिसे भस्मार्ती मंगला आरती कहा जाता है, जिसके बाद रजत मुकुट आभूषण, वस्त्र भगवन को अर्पण किए जाते है, जिसके बाद भगवान दिव्य स्वरूप में निराकार से साकार रूप में भक्तो को दर्शन देते हैं.
बाबा महाकाल मंदिर में परंपरा रही है श्रावण मास की 4 या 5 सवारियां होती है और 2 सवारी भाद्र पद (भादौ मास) की होती है जिसमें बाबा नगर भ्रमण पर हर सोमवार भक्तो का हाल जानने उन्हें आशीर्वाद देने खुद शाही ठाठ बाट के साथ निकलते है.
चौथे सोमवार भगवान भक्तो को उमामहेश, मनमहेश, चंदमोलेश्वर व शिवतांडव रूप में हाथी, पालकी व रथ, नंदी पर सवार होकर दर्शन देंगे, इसी प्रकार हर सोमवार को सवारी मे एक एक वाहन और विग्रह के रूप में प्रतिमा बढ़ती जाएगी व कूल 7 विग्रह भगवान के निकलेंगे.
आज धर्म नगरी में निकलने वाली बाबा की सवारी में सीधी के घसिया बाज जनजातीय दल की प्रस्तुति होगी, पुलिस बैंड, भक्तो के हाथ मे तिरंगा होगा, साथ ही साथ मंत्रिमंडल भी शामिल होगा.
ऐसा कहा जाता है कि श्रावण माह में शिव दर्शन करने से अनेक पापो का नाश होता है साथ ही इस माह में जो भी भक्त शिव को जलधारा, दुग्ध धारा व बैल पत्र चढ़ाता है तो उसके तीन जन्मों के पाप का विनाश होता है व उसको अक्षुण्य पुण्य की प्राप्ति होती है.