Pitri Paksh Shopping 2022: पितृपक्ष का महीना चल रहा है. इस समय पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है. कई लोग श्राद्ध को अशुभ मानते हैं. इसलिए कई लोग पितृपक्ष के दौरान नई चीज नहीं खरीदते हैं. पुराणों ग्रंथों में पितर पक्ष के दौरान सिर्फ पितरों के श्रद्धा की बात कही गई है. लेकिन उसमें कई वस्तुओं के खरीददारी का उल्लेख नहीं है. ऐसे में यदि आपके भी मन में पितर पक्ष को लेकर ये भ्रम बना हुआ है कि पितर पक्ष में नई चीजों की खरीददारी करनी चाहिए कि नहीं करनी चाहिए तो आइए जानते हैं इसके बारे में...


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पितृ पक्ष श्राद्ध का मतलब
दरअसल पितृपक्ष के दौरान हम पितरों का तर्पण व श्राद्ध करते हैं. कुछ लोगों का मानना है कि मतलब श्राद्ध होता है. लेकिन श्राद्ध का वास्तविक अर्थ होता है श्रद्धा यानी श्रदा भाव से किए गए पितरों के तर्पण को श्राद्ध कहते हैं. पितर पक्ष के दौरान पितरों का श्रद्धा भाव से तर्पण किया जाता है. लेकिन इस दौरान किसी चीज की खरीददारी करना वर्जिन नहीं है. सिर्फ मृत्यु सूतक में ही शुभ कार्यों की खरीददारी नहीं की जाती है.


पितर पक्ष में खरीददारी करने से प्रसन्न होते हैं पितृदेव
कई लोगों का मानना है कि पितृपक्ष के दौरान नई चीजों की खरीददारी करने से पितृदेव नाराज हो जाते हैं और घर में पितृदोष लगता है. लेकिन इसका शास्त्रों में कहीं कोई उल्लेख नहीं है. श्राद्ध पक्ष को अन्य दिनों की तरह ही अशुभ माना जाता है. ज्योतिषों की मानें तो पितर पक्ष के दौरान घर में नई चीजें खरीदने से पितृदेव प्रसन्न होते हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है. पितृपक्ष में केवल मांगलिक कार्य करना जैसे विवाह, उपनयन संस्कार, नींव पूजन, मुंडन, गृह प्रवेश इत्यादि को वर्जित माना गया है.


पितृपक्ष पर खरीददारी करने की शुभ तारीख
यदि आप पितृपक्ष पर खरीददरी करना चाहते हैं तो आप मन में बिना किसी संशय के खरीददारी कर सकते हैं. इस बार पितृपक्ष पर खरीददारी करने के कई शुभ योग बन रहे हैं. इस शुभ योग में खरीददारी करना बहुत शुभ होता है. पितृपक्ष के दौरान 17, 24, 25 सिंतबर को सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है. साथ ही 16 सितंबर को वृद्धि योग बन रहा है इस शुभ मुहूर्त में आप कभी भी खरीददारी कर सकते हैं.


पितृपक्ष में करें ये काम
पितृपक्ष के दौरान घर में लड़ाई झगड़ा नहीं करनी चाहिए. इस समय मन में किसी प्रकार का टेंशन न लें. पितर पक्ष में अपने पूर्वजों की तिथि पर श्रद्धा भाव से उनका श्राद्ध करें और इस दिन गरीबों ब्राम्हणों और पुरोहितों को आदर पूर्वक घर बुलाकर भोजन कराएं.


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(disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और विभिन्न जानकारियों पर आधारित है. zee media इसकी पुष्टि नहीं करता है.)