Sarva Pitru Amavasya 2022: हिंदू धर्म में पितरों के तर्पण के लिए पितृपक्ष को बहुत उत्तम समय माना गया है, क्योंकि इस दौरान पितरों का पृथ्वी पर वास होता है. पितृपक्ष में हम अपने पूर्वजों की मृत्यु की तिथि पर उनके नाम से श्राद्ध और तर्पण करते हैं. वहीं जिन लोगों को अपने पूर्वजों के मृत्यु की तिथि नहीं पता होती है वे लोग सर्वपितृ अमावस्या के दिन अपने पूर्वजों के नाम से श्राद्ध करते हैं. सर्वपितृ अमावस्या के दिन पूर्वज पुनः अपने लोक को वापस चले जाते हैं. इसलिए इसे पितृ विसर्जन के नाम से जानते हैं. आज सर्वपितृ अमावस्या है. आइए जानते हैं आज पितरों की विदाई कैसे करें, जिससे हमारे तरक्की के रास्ते खुल जाएं.


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पितृ विसर्जन 2022
हिंदू पंचाग के अनुसार इस साल अश्विविन माह की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की शुरुआत 25 सितंबर की सुबह 03 बजकर 11 मिनट से शुरू हो रही है. इसका समापन 26 सितंबर की सुबह 03 बजकर 22 मिनट पर होगी. ऐसे में पितृ विसर्जन 25 सितंबर को मनाया जाएगा.


सर्व पितृ अमावस्या पर करें ये उपाय


. पितृ विसर्जन यानी सर्वपितृ अमावस्या के दिन सुबह स्नान करने के बाद सूर्य को लाल पुष्प और लाल चंदन मिलाकर जल चढ़ाएं. साथ ही आंटे की गोलियां तालाब या नदी के किनार जाकर मछलियों को खाने के लिए दें. मान्यता है कि ऐसा करने से पितृ देव प्रसन्न होकर हमे आशीर्वाद देते हैं और हमारे जीवन से सभी परेशानियां दूर हो जाती है.


. पितृ विसर्जन के दिन पितृदेव से क्षमा याचना मांगे. इसके साथ ही काली चींटियों को शक्कर मिला हुआ आटा खिलाएं. मान्यता है कि ऐसा करने से हमारे सभी पापों का नाश होता है और पितरों की कृपा से हमारी सभी मनोकामना पूरी होती है. 


. सर्वपितृ अमावस्या के दिन ब्राम्हणों को घर बुलाकर इज्जत पूर्वक भोजन कराना बहुत पुण्यदायी होता है. ध्यान रहे की ब्राम्हण गण को भोजन शुद्धता के साथ कराएं. भोजन के पश्चात उन्हें सामर्थ्य अनुसार दक्षिणा दें. ऐसी मान्यता है कि इस दिन ब्राम्हणों को कराया गया भोजन सीधे पितरों को मिलता है.


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सर्वपितृ अमावस्या महत्व


हिंदू धर्म में वैसे तो सभी अमावस्या का महत्व है. लेकिन सर्वपितृ अमावस्या का विशेष महत्व बताया गया है. इसे महालया अमावस्या और पितृ विसर्जन के नाम से जानते हैं. इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों ग्रह एक ही राशि में होते हैं. सूर्य जहां पिता का प्रतिनिधित्व करता है वहीं चंद्रमा मां का, इसलिए ऐसी मान्यता है कि इस दिन पूर्वजों के नाम पर किए गए जल दान, श्राद्ध तर्पण और पिंडदान करने से हमारे पूर्वजों की आत्मा तृप्त हो जाती है. इस दिन पूर्वज परिवार की सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देकर पुनः मृत्यु लोक को चले जाते हैं.


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(disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और विभिन्न जानकारियों पर आधारित है. zee media इसकी पुष्टि नहीं करता है.)