PM Modi 72 Birthday: PM मोदी का MP दौरा क्यों है बेहद खास, होगा मिशन 2023 का आगाज, जानिए प्लान
PM Modi 72 Birthday: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (narendra modi) का मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) बेहद खास माना जा रहा है, पीएम के दौरे को लेकर सरकार और संगठन दोनों ही उत्साहित नजर आ रहा है. इस दौरान पीएम न केवल मध्य प्रदेश को चीतों cheetahs की सौगात देंगे, जबकि स्वसहायता समूह self help group की महिलाओं से भी संवाद करेंगे.
PM Modi 72 Birthday: भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (narendra modi) के मध्य प्रदेश (madhya pradesh) में दौरे की तैयारियां पूरी हो गई हैं. पीएम एमपी का सालों का इंतजार खत्म करने जा रहे हैं, क्योंकि मध्य प्रदेश में कई दिनों से चीतों (cheetahs) का इंतजार कर रहा था, कल पीएम मोदी के दौरे के साथ यह इंतजार खत्म हो जाएगा. 17 सितंबर को पीएम के जन्मदिन (PM birthday on 17 September) को खास बनाने के लिए एमपी में चीते दस्तक देने जा रहे हैं, जिसे लेकर पूरी तैयारियां कर ली गई हैं. शायद यह पहला मौका है जब प्रधानमंत्री बनने के बाद पीएम मोदी अपने जन्मदिन पर मध्य प्रदेश में रहेंगे. यही वजह है कि पीएम मोदी यह दौरा सियासी हल्कों में चर्चा का विषय बना हुआ है.
मिशन 2023 का आगाज
दरअसल, अपने जन्मदिन पर मध्य प्रदेश आ रहे पीएम मोदी के दौरे को कुछ लोग सियासत से भी जोड़कर देख रहे हैं, तो कुछ इसे मध्यप्रदेश के लिए सौगात मान रहे हैं. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि पीएम के एक दौरे कई मतलब होते हैं. राजनीतिक जानकारों का तो यहां तक मानना है कि पीएम मोदी के इस दौरे के साथ 2023 के विधानसभा चुनाव का आगाज भी हो जाएगा. क्योंकि एमपी को अफ्रीका से आए चीतों की सौगात के साथ स्वसहायता समूह से जुड़ी 57 हजार महिलाओं से पीएम मोदी का संवाद भी अहम माना जा रहा है. इस दौरान पीएम क्या संदेश देते हैं. इस पर सबकी नजरे हैं.
ग्रामीण वोटर तक मजबूत पकड़ बनाने की तैयारी
क्योंकि स्वसहायता समूह वो यूनिट हैं जो सरकारी योजनाओं को जमीन तक पहुंचाने की मजबूत कड़ी कही जाती हैं. ग्रामीण वोटर तक पहुंच बनाने का सबसे मजबूत सेतु भी इसे कहा जा सकता है. खास ये भी है पीएम से रुबरू होने के लिए जिन तीन महिलाओं का चयन किया गया है वो आदिवासी हैं. बड़ा सवाल यही है कि चीतों की सौगात देने आ रहे पीएम मोदी क्या 2023 की जमीन तैयार करके जाएंगे. यही वजह है कि पीएम के दौरे को लेकर सरकार से लेकर संगठन तक के लोग उत्साहित हैं.
जमीन पक्की करने की तैयारी
स्वसहायता समूह शहरी से ज्यादा ग्रामीण इलाकों में सरकार और समाज के बीच की सबसे मजबूत कड़ी माने जाते हैं. इन समूहों के जरिए सरकारी योजनाओं का प्रचार प्रसार होता है. इनकी महिलाओं की समाज में सीधी पैठ होती है, जबकि ग्रामीण भारत की नब्ज होते स्व सहायता समूह क्योंकि इनसे कई घर चलते हैं. सेल्फ हेल्प ग्रुप की महिलाओ से संवाद का सियासी मकसद भी दिखाई दे रहा है. जिन्हें प्रमुखता में रखा गया वे महिलाएं आदिवासी वर्ग से आती हैं. इसके अलावा चंबल का इलाका. मध्यप्रदेश वो राज्य है लाड़ली लक्ष्मी से लेकर कन्यादान तक महिला वोटर पर सरकार का खास फोकस है. और 2008 के विधानसभा चुनाव के नतीजे इस बात की तस्दीक भी करते हैं कि ये वोटर बीजेपी का मजबूत वोटर है. अब पीएम मोदी के संबोधन के जरिए बीजेपी इन वोटर के बीच पार्टी की जमीन और पक्की करेगी.
राजनीतिक जानकारों की राय
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि प्रधानमंत्री के इस दौरे से प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव का शंखनाद हो जाएगा और बीजेपी चुनावी रोडमैप भी नजर आने लगेगी. कुल मिलाकर बीजेपी अब पूरी तरह चुनावी मोड में होगी और राहुल गांधी की पदयात्रा राज्य में आने से पहले ही भाजपा पूरी तरह से एक्टिव होना चाह रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि साल 2018 के चुनावी नतीजे बीजेपी को अब तक याद है. ऐसे में बीजेपी इस बार कोई गलती नहीं करना चाहती है. यही वजह है कि पीएम के एक दौरे से बीजेपी कई निशाने साधने की तैयारी में हैं.
आदिवासी वर्ग पर फोकस
फिलहाल बीजेपी का सबसे ज्यादा फोकस आदिवासी वोटबैंक पर बना हुआ है. क्योंकि 17 सितंबर को पीएम मोदी के दौरे की तस्वीर साफ बता रही है कि 2023 के विधानसभा चुनाव व 2024 के आम चुनाव में बीजेपी का फोकस आदिवासी वोटर पर है. मध्यप्रदेश की विधानसभा में 47 आदिवासी सीटें हैं. लंबे वक्त तक जो कांग्रेस को जीत का सेहरा बांधती रही हैं. बीजेपी की तैयारी कांग्रेस के इस स्थाई वोट बैंक की तासीर बदल देने की है. यही वजह है कि केंद्र से लेकर राज्य सरकारों तक सत्ता में सीधी भागीदारी से लेकर सम्मान और समाधान तक आदिवासी बीजेपी की प्राथमिकता में शामिल हो चुके हैं.
ग्वालियर-चंबल में आने वाला श्योपुर आदिवासी इलाका है और यहां पीएम मोदी जब स्वसहायता समूहो की महिलाओं से संवाद करेंगे. जिन तीन महिलाओं को मोदी से मुलाकात के लिए चुना गया है उनमें जिला पंचायत की अध्यक्ष गुड्डी बाई आदिवासी, सुनीता आदिवासी और कली आदिवासी भी उसी समाज से आती हैं. यानि संदेश साफ है कि बीजेपी का इस खास वर्ग पर विशेष फोकस कर रही है. तो ये भी एक बड़ा संदेश है, क्योंकि भाजपा ने 2018 के विधानसभा चुनाव में आदिवासी सीटों पर ही चोट खाई थी. इस बार उस चोट को भरने की कोशिश है. खास बात ये है कि पीएम मोदी से लेकर सीएम शिवराज तक अपनी सरकार की योजनाओं का लाभ लेने में भी माहिर हैं. जबकि एमपी में बीजेपी का मजबूत संगठन है कूनो का ये कार्यक्रम भी एमपी के 2023 के विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बहुत अहम साबित होगा.