चंद्रशेखर सोलंकी/रतलाम: भगवान की प्रतिमाओं के निर्माण में देश मे बंगाली कारीगरी प्रसिद्ध है. लेकिन कई वर्षों से बंगाली प्रतिमा कारीगर रतलाम आकर अपना व्यवसाय कर रहे हैं. 4 माह गणेश उत्सव के पूर्व से लेकर नवरात्रि तक बंगाली कारीगर रतलाम में अपना अच्छा खासा व्यापार करते है. इस वर्ष भी बंगाली कारीगर 9 फ़ीट तक की प्रतिमा बना रहे हैं. गणेश उत्सव के लिए प्रतिमाओं की बुकिंग पहले से हो गयी है. जिन्हें तैयार करने की अंतिम कारीगरी का काम चल रहा है.


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इन कारीगरों की खास बात यह है कि यह प्रतिमा निर्माण के लिए मिट्टी भी बंगाल के गंगा नदी से लेकर आते है. जिसका कारण बताते हैं कि इस मिट्टी से ही प्रतिमाओं के चेहरे पर तेज व आकर्षित चेहरे के सफाई आती है. इसके अलावा प्रतिमाओं के लिए जरूरी कपड़ा व अन्य सामग्री भी वह बंगाल से लेकर आते हैं.


प्रतिमा निर्माण का बढ़ा खर्च
बंगाली प्रतिमा निर्माण करने वालों का कहना हैं कि वैसे ही महंगाई बढ़ने से प्रतिमा निर्माण का खर्च बढ़ गया है और अब इस वर्ष से प्रतिमा निर्माण सामग्री पर जीएसटी भी लगा दिया है. ऐसे में प्रतिमा की लागत बढ़ गयी है, लेकिन इसकी कीमत में ज्यादा बढ़ोत्तरी नहीं हुई, जिससे मुनाफा कम हो गया है.


प्रतिस्पर्धा के कारण कारीगरों की संख्या बढ़ी
बंगाल से रतलाम आकर बंगाली कारीगर कार्य करने का बड़ा कारण बताते है. दरअसल बंगाल में हर पर्व त्योहार पर प्रतिमाओं की पूजा का खासा महत्व है. ऐसे में यहां प्रतिमा निर्माण का कर जितना बडे स्तर पर होता है. उतने ही वहां कारीगर की संख्या बढ़ गयी है. ऐसे में प्रतिस्पर्धा के कारण अब बंगाली कारीगर रतलाम आकर 4 माह प्रतिमा निर्माण का कार्य करते है. जिसमें इन्हें बंगाल के साल भर के कार्य जितना मुनाफा इन 4 माह में हो जाता है.