प्रमोद शर्मा/भोपाल। मध्य प्रदेश में राष्ट्रपति चुनाव में विधायकों के वोट रिजेक्ट भी हुए हैं. क्रॉस वोटिंग और वोट रिजेक्ट पर होने पर बीजेपी और कांग्रेस के नेता एक दूसरे पर निशाना साध रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ विधानसभा के मुख्य सचिव अवधेश प्रताप सिंह ने भी इस मामले पर चिंता जाहिर की है. उनका कहना है कि विधायकों के वोट रिजेक्ट होना चिंताजनक है, क्योंकि सभी को वोटिंग को लेकर समझाइश और ट्रेनिंग दी गई थी. 


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पांच विधायकों के वोट हुए रिजेक्ट
राष्ट्रपति चुनाव में डाले गए मध्य प्रदेश के पांच विधायकों के वोट रिजेक्ट हुए हैं. इस मामले को लेकर राष्ट्रपति चुनाव के पीठाशीन अधिकारी अवधेश प्रताप सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि ''आज से पहले सम्भवतः कभी इतने बड़े इलेक्शन में वोट रिजेक्ट नहीं हुए है. उन्होंने वोट रिजेक्ट होने की वजह कैंडिडेट्स वरीयता या अन्य त्रुटियों का होना बताया है.''


समझाने के बाद भी माननीय समझ नहीं पाए 
अवधेश प्रताप सिंह ने कहा कि ''निर्वाचन आयोग ने लगातार विधायकों को वोटिंग को लेकर समझाया था, जबकि राजनीतिक पार्टियों ने भी अपने विधायकों को ट्रेनिंग दी थी. लेकिन समझाने के बाबजूद माननीय वोटिंग समझ नहीं पाए और राष्ट्रपति चुनाव में पांच विधायकों के वोट रिजेक्ट हो गए.''


एपी सिंह ने कहा कि ''वोट रिजेक्ट न हो इसको लेकर हमने तीन-तीन बार निर्देश भेजे थे. इसलिए विशेष तौर पर हर पार्टी ने अपने विधायकों को वोटिंग को लेकर समझाया था. लेकिन इतना सब होने के बाद भी विधायकों के एक साथ पांच वोट रिजेक्ट होना चिंताजनक है. इस बार विचार विमर्श होना चाहिए.''


दरअसल, राजनैतिक दलों ओर निर्वाचन आयोग ने राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग को लेकर विधायकों को समझाया भी था. निर्देश के बाद भी एमपी के पांच विधायक ठीक से वोट नहीं कर पाए और पांच विधायकों के वोट इनवैलिड हो गए. जबकि 19 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है. एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को मध्य प्रदेश से 146 वोट मिले हैं, जबकि विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को 79 वोट मिले. 


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