Radha Ashtami 2022: राधा अष्टमी पर इस विधि से करें राधा-कृष्ण की पूजा, मिलेगा मनचाहा लाइफ पार्टनर
Radha Ashtami 2022 Kab Hai: भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन राधा अष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है. मान्यता है कि जो प्रेमी जोड़े इस दिन राधा-रानी की सच्चे मन से पूजा करते हैं, उनके जीवन में कभी कोई परेशानी नहीं आती है. आइए जानते हैं कब है राधा अष्टमी और कैसे करें पूजा?
Radha Ashtami 2022 Puja Vidhi: धार्मिक मान्यता अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन हुआ था, वहीं इनकी प्रेमिका राधा जी का जन्म भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन हुआ था. इसलिए हर साल कृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन बाद राधा अष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि भगवान कृष्ण की पूजा बिना राधा जी की पूजा किए अधूरी रह जाती है. ऐसे में यदि आप कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण की पूजा किए हैं तो राधा अष्टमी पर बांके बिहारी के साथ राधा रानी की पूजा अवश्य करें. मान्यता है कि जो लोग कृष्ण जी के साथ राधा-रानी की पूजा करते हैं, उनका वैवाहिक जीवन हमेशा खुशहाल रहता है. साथ ही जिन कुंवारे लोगों की शादी नहीं हो रही है या उन्हें मनचाहा लव पार्टनर नहीं मिल रहा है वे यदि इस दिन राधा रानी की सच्चे मन से पूजा करते हैं तो उन्हें मनयोग्य जीवनसाथी मिल जाता है.
राधा अष्टमी शुभ मुहूर्त 2022
भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा अष्टमी के नाम से जानते हैं. इस बार इस तिथि की शुरुआत 03 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 25 मिनट से हो रही है, इसका समापन 4 सितंबर को सुबह 10 बजकर 40 मिनट पर होगा. हिंदू धर्म में उदया तिथि सर्वमान्य तिथि होती है. इसलिए राधा अष्टमी 04 सितंबर को मनाया जाएगा. इस दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त 04 बजकर 36 मिनट से लेकर सुबह 5 बजकर 2 मिनट तक है.
मनचाही प्रेमिका के लिए इस विधि से करें पूजा
भगवान कृष्ण और उनकी प्रेमिका राधा रानी को प्यार का प्रतीक माना जाता है. ऐसे में जिनकी शादी नहीं हुई है या पति-पत्नी के बीच अनबन रहता है वे राधा अष्टमी का व्रत रख कर इस दिन राधा रानी के साथ भगवान कृष्ण के मूर्ति का स्थापना करें और विधि पूर्वक पूजा करते हुए रोली, कुमकुम, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप अर्पित करें. साथ ही उन्हें उन्हें फल, मेवा व मिठाईयों का भोग लगाएं और राधा जी की आराधना करते हुए राधा चालीसा का पाठ करें. मान्यता है कि इस दिन जो लोग कृष्ण राधा की एक साथ सच्चे मन से आराधना करते हैं उनका वैवाहिक जीवन सुखमय होता है. साथ ही जो कुंवारे लड़के अथवा कुंवारी लड़िकियां उनकी सच्चे मन से आराधना करती हैं उन्हें मनचाहा जीवनसाथी मिलता है. इस दिन राधा चालीसा का पाठ अवश्य करें. राधा चालीसा निम्नलिखित है-
॥ दोहा ॥
श्री राधे वुषभानुजा, भक्तनि प्राणाधार ।
वृन्दाविपिन विहारिणी, प्रानावौ बारम्बार ॥
।। चौपाई ।।
जय वृषभान कुंवारी श्री श्यामा ।
कीरति नंदिनी शोभा धामा ॥
नित्य विहारिणी श्याम अधर ।
अमित बोध मंगल दातार ॥
रास विहारिणी रस विस्तारिन ।
सहचरी सुभाग यूथ मन भावनी ॥
नित्य किशोरी राधा गोरी ।
श्याम प्रन्नाधन अति जिया भोरी ॥
करुना सागरी हिय उमंगिनी ।
ललितादिक सखियाँ की संगनी ॥
दिनकर कन्या कूल विहारिणी ।
कृष्ण प्रण प्रिय हिय हुल्सवानी ॥
नित्य श्याम तुम्हारो गुण गावें ।
श्री राधा राधा कही हर्शवाहीं ॥
मुरली में नित नाम उचारें ।
तुम कारण लीला वपु धरें ॥
प्रेमा स्वरूपिणी अति सुकुमारी ।
श्याम प्रिय वृषभानु दुलारी ॥
नावाला किशोरी अति चाबी धामा ।
द्युति लघु लाग कोटि रति कामा ॥
गौरांगी शशि निंदक वदना ।
सुभाग चपल अनियारे नैना ॥10॥
जावक यूथ पद पंकज चरण ।
नूपुर ध्वनी प्रीतम मन हारना ॥
सन्तता सहचरी सेवा करहीं ।
महा मोड़ मंगल मन भरहीं ॥
रसिकन जीवन प्रण अधर ।
राधा नाम सकल सुख सारा ॥
अगम अगोचर नित्य स्वरूप ।
ध्यान धरत निशिदिन ब्रजभूपा ॥
उप्जेऊ जासु अंश गुण खानी ।
कोटिन उमा राम ब्रह्मणि ॥
नित्य धाम गोलोक बिहारिनी ।
जन रक्षक दुःख दोष नासवानी ॥
शिव अज मुनि सनकादिक नारद ।
पार न पायं सेष अरु शरद ॥
राधा शुभ गुण रूपा उजारी ।
निरखि प्रसन्ना हॉट बनवारी ॥
ब्रज जीवन धन राधा रानी ।
महिमा अमित न जय बखानी ॥
प्रीतम संग दिए गल बाहीं ।
बिहारता नित वृन्दावन माहीं ॥
राधा कृष्ण कृष्ण है राधा ।
एक रूप दौऊ -प्रीती अगाधा ॥
श्री राधा मोहन मन हरनी ।
जन सुख प्रदा प्रफुल्लित बदानी ॥
कोटिक रूप धरे नन्द नंदा ।
दरश कारन हित गोकुल चंदा ॥
रास केलि कर तुम्हें रिझावें ।
मान करो जब अति दुःख पावें ॥
प्रफ्फुल्लित होठ दरश जब पावें ।
विविध भांति नित विनय सुनावें ॥
वृन्दरंन्य विहारिन्नी श्याम ।
नाम लेथ पूरण सब कम ॥
कोटिन यज्ञ तपस्या करुहू ।
विविध नेम व्रत हिय में धरहु ॥
तू न श्याम भक्ताही अपनावें ।
जब लगी नाम न राधा गावें ॥
वृंदा विपिन स्वामिनी राधा ।
लीला वपु तुवा अमित अगाध ॥
स्वयं कृष्ण नहीं पावहीं पारा ।
और तुम्हें को जननी हारा ॥
श्रीराधा रस प्रीती अभेद ।
सादर गान करत नित वेदा ॥
राधा त्यागी कृष्ण को भाजिहैं ।
ते सपनेहूं जग जलधि न तरिहैं ॥
कीरति कुमारी लाडली राधा ।
सुमिरत सकल मिटहिं भाव बड़ा ॥
नाम अमंगल मूल नासवानी ।
विविध ताप हर हरी मन भवानी ॥
राधा नाम ले जो कोई ।
सहजही दामोदर वश होई ॥
राधा नाम परम सुखदायी ।
सहजहिं कृपा करें यदुराई ॥
यदुपति नंदन पीछे फिरिहैन ।
जो कौउ राधा नाम सुमिरिहैन ॥
रास विहारिणी श्यामा प्यारी ।
करुहू कृपा बरसाने वारि ॥
वृन्दावन है शरण तुम्हारी ।
जय जय जय व्र्शभाणु दुलारी ॥
॥ दोहा ॥
श्री राधा सर्वेश्वरी, रसिकेश्वर धनश्याम ।
करहूँ निरंतर बास मै, श्री वृन्दावन धाम॥
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