Rahul Gandhi: मोदी सरनेम मामले में राहत के बीच राहुल गांधी की दो विदेशी डॉगी के साथ पोस्ट वायरल, क्या है खास?
Rahul Gandhi Puppies Viral Pic:कांग्रेस नेता राहुल गांधी की गोवा यात्रा और भी खास हो गई क्योंकि उन्होंने तीन महीने के प्यारे `जैक रसेल टेरियर` पिल्ले को एडोप्ट किया है.
Rahul Gandhi Viral Pic with Puppies: इस समय कांग्रेस नेता और पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी पूरे देश में चर्चा में हैं. सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सजा पर शुक्रवार को रोक लगा दी. जिसके बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ गई है और वे जश्न मना रहे हैं. इस बीच राहुल गांधी के दो प्यारे पिल्लों की एक वायरल तस्वीर भी वायरल हो रही है.
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गोवा गए थे राहुल गांधी
बता दें कि 3 अगस्त को कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपनी निजी गोवा यात्रा से दिल्ली लौटे है, लेकिन इस बार वह अकेले नहीं थे. उनके साथ 'जैक रसेल टेरियर' नस्ल का तीन महीने का एक प्यारा पिल्ला भी था. यह बताया गया है कि राहुल गांधी ने हाल ही में अपना एक पालतू कुत्ता खो दिया था, और अपनी गोवा यात्रा के दौरान, उन्होंने एक ऐसी जगह की खोज की जहां विभिन्न नस्लों के कुत्ते उपलब्ध थे. वहां उन्हें जैक रसेल टेरियर से लगाव हो गया और उन्होंने उसे अपने साथ दिल्ली वापस लाने का फैसला किया.
एक पेट डॉग ही अपने साथ ला सके
हालांकि, एयरलाइन नियमों के अनुसार फ्लाइट में प्रति यात्री केवल एक पालतू कुत्ते की अनुमति थी, इसलिए राहुल गांधी केवल एक पेट डॉग ही अपने साथ ला सके. जैक रसेल टेरियर अपनी गंध की उत्कृष्ट भावना के लिए प्रसिद्ध है और कुत्ते के शौकीनों के बीच एक पसंदीदा नस्ल है.पेट डॉग को गोवा में शरवानी पित्रे नाम की महिला द्वारा संचालित एक डॉग हाउस से प्राप्त किया गया था, जो इन प्यारे प्राणियों की देखभाल के लिए काम करती है.
राहुल गांधी को मिली राहत
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को उनकी 'मोदी उपनाम' टिप्पणी से संबंधित आपराधिक मानहानि मामले में तत्काल राहत दी है. शुक्रवार को जारी अंतरिम आदेश में कोर्ट ने कांग्रेस नेता की सजा को फिलहाल निलंबित कर दिया. इससे पहले, गुजरात उच्च न्यायालय ने 'मोदी उपनाम' टिप्पणी पर इसी मानहानि मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहा गया कि ट्रायल जज ने सामान्य टिप्पणी के अलावा, अधिकतम सजा देने का कोई विशेष कारण नहीं बताया. अगर सज़ा एक दिन से कम होती तो अयोग्यता का प्रावधान लागू नहीं होता. ट्रायल जज से यह अपेक्षा की जाती है कि वह गैर-संज्ञेय अपराध में अधिकतम सजा देने के लिए कारण बताए, जिसे अपीलीय अदालत और उच्च न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर रोक की अस्वीकृति में संबोधित नहीं किया गया था.