MP Seat Analysis: क्या दलबदल के बाद BJP बचा पाएगी मंत्री की साख या कांग्रेस लेगी सिंधिया से बदला? जानें क्या कहते हैं रायसेन की 4 सीटों के आंकड़े
MP Assembly Election 2023: रायसेन (Raisen) में उदयपुरा, भोजपुर, सांची, सिलवानी 4 विधानसभा सीटे आती है. इनमें से 3 पर बीजेपी और 1 पर कांग्रेस का कब्जा है. यहीं से दल बदल के बाद स्वास्थ्य मंत्री बने प्रभुराम चौधरी विधायक (Prabhuram Chudhri) है. इस कारण मुकाबला इस बार काफी इंटरेस्टिंग होने वाला है.
Raisen Seat Analysis: राजधानी भोपाल से सटे रायसेन (Raisen) जिले में 4 विधानसभा सीटे उदयपुरा, भोजपुर, सांची, सिलवानी आती है. इनमें से सांची SC के लिए रिजर्व है. बाकी की सभी सीटों पर ओपन मुकाबला होता है. 2018 में बीजेपी के पास यहां की 2 सीटें थी. लेकिन, 2020 उपचुनाव में हालात बदले और भजाप के पास जिले की तीन सीटें हो गईं. अब पार्टी के पास चुनौती है कि वो दलबदल से लाए नेताओं को जिता पाए. इसके साथ ही पुराने विजेताओं की जीत को बरकरार रखा जाए.
वर्तमान स्थिति (2018)
साल 2018 में हुए चुनवा में कांग्रेस के खाते में 2 सीटें आईं थी. लेकिन, 2020 में हुए उपचुनाव में पार्टी के हाथ से एक सीट मिकल गई. सांची से प्रभुराम चौधरी (Prabhuram Chudhri) ने चुनाव जीतने के बाद दल बदला और बीजेपी में शामिल हो गए. उन्होंने उपचुनाव में कांग्रेस के मदनलाल को 1 लाख से ज्यादा मतों से हराया.
वोटों के आंकड़े
वोटरों के संख्या की बात की जाए तो रायसेन में सबसे ज्यादा 234531 वोटर सांची में हैं. इसी सीट पर सबसे ज्यादा महिला वोटर भी है. वहीं सबसे कम वोटरों वाले क्षेत्र की बात करें तो सिलवानी में 198039 वोटर हैं. जिनमें से 92562 महिलाएं और 105476 पुरुष हैं.
2018 में वोट शेयर
रायसेन जिले में वोट शेयर की बात करें तो बीजेपी को सबसे ज्यादा भोजपुर में 92458 मिले. यहां से कांग्रेस को 62972 मतदाताओं से सहारा दिया. जबकि, कांग्रेस की जीत वाली सांची में पार्टी को 89567 वोट मिले. इसके मुकाबले अन्य ने 8450 हासिल किए. अन्य दलों ने सबसे ज्यादा वोट सिलवानी में काटे.
2018 के आंकड़े
साल 2018 में कांग्रेस ने एक बार फिर पूरे दम के साथ रायसेन में चुनाव लड़ने उतरी और 2 सीटों पर वापसी कर ली और कमलनाथ की सरकार बनाने के लिए दो सदस्य जिले से दिए. लेकिन, कुछ ही समय में प्रदेश में हुए दल बदल में सांची विधायक प्रभुराम चौधरी, सिंधिया का हाथ पकड़कर बीजेपी में शामिल हो गए और बीजेपी की टिकट से उपचुनाव जीतकर वापस विधानसभा पहुंच गए. ऐसे में कांग्रेस के पास केवल उदयपुरा से देवेंद्र सिंह पटेल ही बचे.
2013 के आंकड़े
विधानसभा चुनाव 2008 का बदला बीजेपी ने साल 2013 में ले लिया. रायसेन से भाजपा ने कांग्रेस का सफाया कर दिया और चारो सीटों पर कब्जा जमा लिया. भोजपुर से सुरेंद्र पटवा ने जीत दोहराई. जबकि, सांची से गौरीशंकर शेजवार छोटे से गैप के बाद वापसी करने में कामयाब रहे. वहीं उदयपुरा से रामकिशन पटेल और सिलवानी से रामपाल सिंह भजापा के खाते में जिले का बहुमत कर दिया. इस बार कांग्रेस के दो बड़े चेहरे सुरेश पचौरी और प्रभुराम चौधरी को हार का मुह देखना पड़ा.
2008 के आंकड़े
नए परिसीमन के बाद हुए पहले चुनाव में कांग्रेस ने रायसेन में तगड़ी बढ़त हासिल की. हालांकि, पुरानी हार का बदला लेते हुए भोजपुर से बीजेपी के सुरेंद्र पटवा ने कांग्रेस के राजेश पटेल को मात दी और 13666 मतों के अंतर से जीत हासिल का. उदयपुरा, सांची, सिलवानी में कांग्रेस जीती तो लेकर बीजेपी के कड़े मुकाबले के कारण वोट शेयर काफी कम रहे.
2003 के आंकड़े
मध्य प्रदेश में साल 2023 में हुए चुनाव में रायसेन में एकव तीन सीटें उदयपुरा, भोजपुर, सांची हुआ करती थी. इसके बाद हुए परिसीमन में सिलवानी के रूप में एक नई सीट जुड़ी. 2003 के परिणामों में बीजेपी को इनमें से उदयपुरा में कांग्रेस के प्रताप भानु शर्मा के खिलाफ रामपाल सिंह के रूप में और सांची से सुभाष बाबू के खिलाफ गौरीशंकर शेजवार के रूप में जीत मिली. जबकि, भोजपुर में कांग्रेस के राजेश पटेल ने सुरेंद्र पटवा के खिलाफ जीत हासिल की.
2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के साथ-साथ रायसेन सिंधिया के लिए अपनी साख बचाने का स्थान है. अगर उनके साथ दलबदल कर बीजेपी में गए नेता चुनाव नहीं जीत पाए तो बड़ा सवाल खड़ा होगा. वहीं कांग्रेस के लिए ये जंग बदले की होने वाली है.