अनिल नागर/रायगढ़: सुठालिया थाना क्षेत्र से पीड़ितों पर पुलिस द्वारा की गई बर्बरता का मामला सामने आया है. जहां पर 1  दिव्यांग युवक के साथ 3 दिन तक लॉकअप में बंद कर जमकर मारपीट की गई. जब पुलिस द्वारा की गई मारपीट के बाद पीड़ित को न्यायालय में पेश किया गया तो वह कटघरे में खड़ा तक नहीं हो पा रहा था. इसके बाद न्यायाधीश ने इस मामले में संज्ञान लेकर एसपी को पत्र लिखकर तानाशाही थाना प्रभारी पर जांच के लिए निर्देश दिए हैं. 


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दरअसल, पीड़ित का कसूर सिर्फ इतना था कि उसके बड़े भाई के ऊपर गांव की ही नाबालिक लड़की को भगाकर ले जाने का संदेह था. बता दें कि पीड़ित धनराज पिता ग्यारसीराम लोधी को शनिवार को जेएमएफसी कोर्ट में पेश किया गया तो न्यायाधीश ऋचा गोयल ने बेरहमी से हुई पिटाई पर स्वतः संज्ञान लेते हुए एसपी राजगढ़ को सुठालिया थाना प्रभारी मोहर सिंह मंडेलिया पर जांच के लिए के लिए पत्र लिख दिया.


यहां से शुरू हुआ मामला?
करीब एक पखवाड़े पहले टोड़ी की नाबालिक के गुमसुदगी में मामला दर्ज हुआ था. गांव के छोटू पुत्र ग्यारसीराम लोधी पर उसे भगाने के आरोप लगे. पुलिस ने संदेह के आधार पर भाई धनराज को थाने बुलाया. इसके बाद लगातार तीन दिन तक लॉकअप में बंद कर जमकर मारपीट की गई. इसके अलावा बंटी पिता फुल सिंह लोधी व सुनील एवं भारत सिंह के साथ भी मारपीट की गई और पैसे लेकर उन्हें छोड़ दिया ने इसी मामले में बंटी की ओर से एक भोपाल आईजी इरशाद वाली और मानव अधिकार आयोग में शिकायत की गई है.


जमकर मारपीट की गई
मामले की शिकायत को लेकर राजगढ़ एसपी कार्यालय पहुंचे बंटी लोधी ने बताया कि सुठालिया पुलिस ने पूछताछ के लिए थाने बुलाया था, लेकिन वहां पर पहले उससे मांगे पैसे नहीं दिए गए तो जमकर मारपीट की गई. फिर उसके घर वालों ने थाने लाकर ₹25000 दिए. जिसके बाद उसे छोड़ दिया गया और उसके साथी से भी थाना प्रभारी द्वारा ₹2 लाख मांगे गए नहीं देने पर पास्को एक्ट के तहत मामला दर्ज कर और बेरहमी से पिटाई कर जेल भेज दिया गया.