श्यामदत्त चतुर्वेदी/नई दिल्ली: देश के पूर्व प्रधानमंत्री और दिवंगत कांग्रेस नेता राजीव गांधी की आज 78वीं जयंती (Rajiv Gandhi birth anniversary) है. इस विशेष मौके पर देश सद्भावना दिवस ( Sadbhavna Diwas ) मना रहा है और उनको याद कर रहा है. 20 अगस्त 1944 को उनका जन्म मुंबई में हुआ था. जयंती के इस मौके पर हम मध्य प्रदेश ( Madhya Pradesh ) के दतिया ( datia ) के पीतांबरा पीठ ( pitambara peeth ) में उनकी आस्था के बारे में जानेंग.


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प्रधानमंत्री बनने के बाद पहुंचे थे दतिया
राजीव गांधी दतिया के पीतांबरा पीठ में कब से आस्था रखते थे या यहां के बारे में कब से जानते थे इस बात का कोई जिक्र नहीं मिलता, लेकिन 1985 में प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने यहां आकार माई के दरबार में मत्था टेका था. इसके बाद से यह कहा जाने लगा था कि पूर्व प्रधानमंत्री की यहां गहरी आस्था थी.


गांधी परिवार की भी है आस्था
नहीं, 1962 में चीन आक्रमण के समय राष्ट्र रक्षा के लिए पीतांबरा पीठ के पीठाधीश्वर स्वामी जी महाराज ने यज्ञ करवाया था. इंदिरा गांधी पहली बार 1979 में, दूसरी बार 1980 में चुनाव के पहले और तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने पर पीतांबरा पीठ गईं थीं. वहीं, राजीव गांधी 1985 में प्रधानमंत्री बनने के बाद यहां आए थे. माना जाता है यहां राजनेताओं की गहरी आस्था रहती है. खास तौर से ये कहा जाता है पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की गहरी आस्था थी.


मंदिर से प्रभाव में आती है मध्य प्रदेश की 33 सीटें
मध्यप्रदेश की 109 सीटों पर 8 विख्यात धर्मस्थलों का प्रभाव है. इन्हें में शामिल है दतिया का पीतांबरा पीठ. यहां आना राजनेताओं की आस्था का कारण हो सकता है, लेकिन इन सबके पीछे छुपी होती है राजनीति. क्यों की मंदिर के प्रभाव में मध्य प्रदेश की करीब 28 सीटे आती हैं. इसके अलावा उत्तर प्रदेश की भी कुछ क्षेत्रों को यहां से साधा जा सकता है.