Mohan Bhagwat Speech: अयोध्या में श्री रामलला के प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम सोमवार को पूरा हो गया. पीएम नरेंद्र मोदी बतौर मुख्य यजमान मंदिर में शामिल हुए. अभिजीत मुहूर्त में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई है. प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद दुनिया के सामने रामलला की पहली तस्वीर सामने आई. जिसने भी रामलला को देखा वो देखता ही रह गया. इस मौके पर पीएम मोदी और मोहन भागवत मंदिर में मौजूद रहे. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बड़ा संदेश समाज को दिया.


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रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि आज अयोध्या में रामलला के साथ भारत का गर्व लौटकर आया है. संपूर्ण विश्व को त्रासदी से राहत देने वाला भारत खड़ा होगा. भागवत ने कहा कि जोश की बातों में होश की बात करने का काम मुझे ही दिया जाता है.


मोहन भागवत ने कहा कि आज हमने सुना कि प्रधानमंत्री ने यहां आने से पहले कठोर तप रखा है. जितना कठोर तप रखा जाना चाहिए था, उससे ज्यादा कठिन तप रखा. मैं जानता हूं, वे तपस्वी हैं. लेकिन वे अकेले तप कर रहे हैं, हम क्या करेंगे?


रामलला वापस आ गए हैं- भागवत 
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि अयोध्या में रामलला आ गए. अयोध्या से बाहर क्यों गए थे? रामायण काल में ऐसा क्यों हुआ था? अयोध्या में कलह हुआ था? अयोध्या उस पुरी का नाम है, जिसमें कोई द्वंद, कलह और दुविधा नहीं. फिर भी राम 14 वर्ष वनवास में गए. दुनिया की कलह मिटाकर वापस आए. संघ प्रमुख ने कहा कि आज रामलला वापस आए हैं, 500 वर्ष के बाद. जिनके त्याग, तपस्या, प्रयासों से आज हम यह स्वर्ग देख रहे हैं, उनका स्मरण प्राण-प्रतिष्ठा के संकल्प में हमने किया.



अब हमें तप करना है
मोहन भागवत ने कहा कि आज के दिन रामलला के वापस आने का इतिहास जो-जो स्मरण करेगा, वो राष्ट्र के लिए होगा. हम अपने देश को विश्व गुरु बनाएंगे. प्रधानमंत्री ने तप किया, अब हमें भी तप करना है. राम राज्य कैसा था, ये याद रखना है. हम भारत वर्ष की संतानें हैं.


कलह को विदाई देनी होगी- भागवत
मोहन भागवत ने अंत में कहा कि हमें अच्छा व्यवहार रखने का तप आचरण करना होगा. हमें सारी कलह को विदाई देनी होगी. छोटे-छोटे मत रहते हैं, छोटे-छोटे विवाद चलते हैं. उसे लेकर लड़ाई करने की आदत छोड़नी पड़ेगी. हमें समन्वय से चलना होगा. हम सबके लिए चलते हैं, और सब हमारे हैं. इसलिए हम चल पाते हैं. आपस में समन्वय रखकर व्यवहार रखना ही सत्य का आचरण, करुणा का दूसरा कदम है, जिसका मतलब सेवा और परोपकार है.


मोहन भागवत ने दिया ये संदेश
मोहन भागवत ने कहा कि श्रीमद भागवत में धर्म के चार मूल्य बताए गए हैं - सत्य, करुणा, शुचिता, तपस। इसका आज युगनुकूल आचरण हो.


सत्य -  सबमे राम है ,  ये जानना और समन्वय का व्यवहार करना.
करुणा - सेवा और परोपकार.
शुचिता / पवित्रता : उसके लिए संयम और अनुशासन चाहिए. नागरिक कर्तव्यों का पालन करें. 
तपस - व्यागतिगत तपस  तो करेंगे ही, परंतु सामूहिक तपस भी करना है.