रामचरितमानस को लेकर जारी विवाद पर बोले उच्च शिक्षा मंत्री- यहां नहीं तो क्या अफगानिस्तान में पढाएंगे?
उच्च शिक्षा मंत्री ने बताया कि रामचरितमानस की पढ़ाई के लिए अलग से किताब भी बनेगी और पेपर भी 100 नंबर का बनाया जाएगा.
आकाश द्विवेदी/भोपालः मध्य प्रदेश सरकार ने कॉलेजों में रामचरितमानस पढ़ाने का फैसला किया है. इसके तहत स्नातक स्तर पर रामचरितमानस से संबंधित विभिन्न पहलुओं की पढ़ाई कराई जाएगी. हालांकि इसे लेकर कांग्रेस ने विरोध जता दिया है. अब जब प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव से इसके बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि रामचरितमानस भारत में नहीं पढ़ाया जाएगा तो क्या अफगानिस्तान में पढ़ाया जाएगा?
उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति लागू करने वाला पहला राज्य मध्य प्रदेश है. नई शिक्षा नीति के तहत ही हमने रामचरितमानस को वैकल्पिक विषय के रूप में शामिल किया है, जिसे स्नातक छात्रों को पढ़ाया जाएगा. उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में इस बात की आजादी दी गई है कि अपने देश से जुड़े प्रसंगों को शामिल किया जाए. मोहन यादव ने कहा कि रामचरितमानस का पूरा पाठ्यक्रम डेवलेप किया जाएगा और उसमें प्रभु श्री राम के अलग अलग प्रसंगों को जोड़ा जाएगा.
उच्च शिक्षा मंत्री ने बताया कि रामचरितमानस की पढ़ाई के लिए अलग से किताब भी बनेगी और पेपर भी 100 नंबर का बनाया जाएगा. जब उनसे कांग्रेस द्वारा इस पर आपत्ति के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि भगवान राम से कांग्रेस का क्या संबंध है. कांग्रेस, राम मंदिर नहीं बनने देना चाहती, पाठ्यक्रम का विरोध करती है.
बता दें कि उच्च शिक्षा विभाग ने रामचरितमानस को दर्शनशास्त्र विषय के अतंर्गत शामिल किया है. वहीं सरकार के इस फैसले के विरोध में विपक्षी पार्टी कांग्रेस सामने आई है. बता दें कि कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने कहा है कि "अगर सरकार महाविद्यालयों में रामायण और महाभारत पढ़ाती है तो कुरान भी पढ़ाए. अगर राम सेतु में साइंस है तो कुरान में भी है." पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने भी इस पर कहा कि "कॉलेजों में रामायण और महाभारत पढ़ाए जाने पर उन्हें आपत्ति नहीं है लेकिन फिर बाइबिल, कुरान और गुरुग्रंथ साहिब को भी सिलेबस में शामिल किया जाना चाहिए."