ग्वालियर: 1857 की महान क्रांतिकारी योद्धा और युद्ध के मैदान में अंग्रेजों के दांत खट्टे कर देने वाली अमर शहीद वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की शहादत का जब जब जिक्र होता है, तब ग्वालियर और सिंधिया राजपरिवार के विषय में इतिहास के पन्नों में दर्ज वह बातें सुर्खियां बटोरने लगती है. जिनमें सिंधिया राज परिवार पर गद्दारी जैसे गंभीर आरोप लगते हैं. क्योंकि सिंधिया राजपरिवार पर रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों से लड़ाई के दौरान सहयोग ना करने का जिक्र इतिहास के पन्नों में दर्ज है. इस बात को लेकर कई बार सिंधिया राजपरिवार राजनीति की दृष्टि से भी राजनेताओं के और राजनीतिक दलों के निशाने पर रहा है लेकिन अब इतिहास को बदलने की सिंधिया राजपरिवार कोशिश कर रहा है.


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दरअसल सिंधिया परिवार अपने ऊपर लगे कलंक को धोने की कोशिश कर रही है. गौरतलब है कि इससे पहले सिंधिया बीजेपी में शामिल होने के बाद रानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर जाकर उन्हें नमन कर चुके हैं. अब एक बार फिर सिंधिया के महल जय विलास पैलेस की मराठा आर्ट गैलरी में महारानी लक्ष्मी बाई को सिंधिया राजपरिवार ने बड़े सम्मान से जगह दी है. उनकी शहादत को भी सिंधिया राजपरिवार ने नमन किया है.


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150 साल बाद दिखा ये सब
बता दें कि लगभग डेढ़ सौ से अधिक वर्ष बीत जाने के बाद सिंधिया राजपरिवार रानी लक्ष्मी बाई के प्रति आदर और निष्ठा प्रकट करने की कोशिश कर रहा है. जब आज गृह मंत्री अमित शाह जब पहली बार सिंधिया के महल जयविलास पैलेस पहुंचे तो यहां उन्होंने मराठा आर्ट गैलरी का शुभारंभ किया लेकिन इस गैलरी में सबसे ज्यादा चर्चा वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की रही. जब सिंधिया कांग्रेस में थे तब बीजेपी के लोग भी रानी लक्ष्मीबाई के बहाने सिंधिया राजपरिवार और सिंधिया पर निशाना साधने से नहीं चूकते थे. लेकिन अब जब वह, कांग्रेस को छोड़ चुके हैं और बीजेपी में शामिल हैं तब कांग्रेस के दिग्गज नेता सिंधिया को रानी लक्ष्मीबाई के बहाने निशाने पर लेने से नहीं चूकते.


यह पहला मौका
यह पहला मौका है जब वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई का नाम सिंधिया राजवंश के महल जय विलास पैलेस में गूंज रहा. अब तक सिंधिया राजपरिवार के इस महल में वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई का जिक्र होते शायद ही किसी ने सुना होगा लेकिन अब जब लोग सुन रहे हैं तो सब आश्चर्य कर रहे हैं कि आखिर राज परिवार अब किस दिशा में चल रहा है और उसकी मंशा क्या है.


सियासी मायने निकाले जा रहे
सिंधिया 1857 की क्रांति के दौरान वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई को लेकर हुए उस घटनाक्रम से खुद को अलग करने की बार-बार कोशिश करता रहा है और एक बार फिर सिंधिया ने उसी कोशिश को बड़ी दमदार तरीके से इसे दोहराने की कोशिश की है. हालांकि इस घटना के कई सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं. सिंधिया राज परिवार से जुड़े हुए लोग इसे एक बड़ी घटना बता रहे हैं.


इतिहास गलत लिखा गया
सिंधिया परिवार से जुड़े लोगों का कहना है कि ये उन लोगों के लिए मुंह बंद कर देने वाली घटना है, जो रानी लक्ष्मीबाई के नाम पर सिंधिया राजपरिवार को निशाने पर लेते रहते हैं. उनका यह भी कहना है कि सिंधिया राजपरिवार को एक कवित्री की कविता के बहाने अक्सर निशाने पर लिया जाता रहा है लेकिन कविताओं का कोई मोल नहीं होता, बावजूद इसके सियासत करने वाले लोग मौका मिलने पर सिंधिया राजपरिवार पर निशाना साधने से नहीं रुकते लेकिन आज सिंधिया राजपरिवार ने यह साबित कर दिया है कि जो अतीत में इतिहास लिखा गया है. वह निराधार और साजिश के तहत लिखा गया. जिसमें सिंधिया राजपरिवार को जबरन टारगेट किया गया है.