राष्ट्रपति चुनाव के सहारे MP साधेगी बीजेपी! जानिए क्या है पार्टी का प्लान
राष्ट्रपति चुनाव के जरिए बीजेपी मध्य प्रदेश में होने वाले 2023 के विधानसभा चुनाव के समीकरण साधने में जुटी है. बीजेपी ने इसके लिए तैयरियां भी शुरू कर दी हैं. बीजेपी ने एक खास वर्ग को साधने की शुरुआत कर दी है.
भोपाल। राष्ट्रपति चुनाव को लेकर बीजेपी ने द्रौपदी मुर्मू को प्रत्याशी बनाकर बड़ा सियासी दाव खेला है. ऐसे में राष्ट्रपति चुनाव के जरिए बीजेपी मध्य प्रदेश में 'मिशन 2023' की राह बनाने में जुटी हुई है. बताया जा रहा है कि द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति चुनाव जीतने से बीजेपी मध्य प्रदेश में आदिवासियों को साधना चाहती है. जिससे 2023 में बीजेपी की राह एमपी में आसान हो सकती है. ऐसे में राष्ट्रपति चुनाव के जरिए बीजेपी ने अभी से सभी समीकरण साधने शुरू कर दिए हैं.
मध्य प्रदेश में बीजेपी की आदिवासी वर्ग को साधने की तैयारी
दरअसल, राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी ने ओडिशा से आने वाली आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू को एनडीए का उम्मीदवार बनाया है. अगर मुर्मू अगर चुनाव जीत जाती हैं तो देश को पहला आदिवासी राष्ट्रपति मिलेगा वो भी महिला. ऐसे में आदिवासी राष्ट्रपति कार्ड बीजेपी को सियासी तौर पर लाभ पहुंचा सकता है, खास तौर पर मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में. द्रौपदी मुर्मू बीजेपी के लिए ट्रंप कार्ड साबित हो सकती हैं.
बीजेपी ने तैयार किया यह प्लान
2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को आदिवासी वर्ग से बड़ा झटका लगा था. जिससे प्रदेश में भाजपा की सरकार तक चली गई थी. बता दें कि संघ और भाजपा ने इस वर्ग पर विशेष फोकस करने का निर्णय लिया गया है. जबकि द्रौपदी मुर्मू का चयन बीजेपी के लिए और भी फायदेमंद हो सकता है. 2003 से 2013 तक चुनावों में जनजातीय वोट भाजपा के साथ रहा था और पार्टी लगातार सत्ता में काबिज थी, लेकिन 2018 में कांग्रेस की और यह वोट बैंक डायवर्ट हो गया और भाजपा को सत्ता गंवानी पड़ी थी. ऐसे में बीजेपी ने भी अभी से इन इस वर्ग को साधने की तैयारी कर ली है. नवंबर में पीएम मोदी खुद बिरसा मुंडा की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए थे. तो हाल ही में संत रविदास जयंती पर भी शिवराज सरकार ने प्रदेश भर में बड़ा आयोजन किया था. यानि बीजेपी भी अभी से इस समीकरण को साधने में जुटी है.
मध्य प्रदेश में हैं 2 करोड़ से ज्यादा आदिवासी
मध्य प्रदेश में 2 करोड़ से ज्यादा आदिवासी आबादी है, 43 समूहों में बटा प्रदेश का आदिवासी वर्ग राज्य की 230 विधानसभा सीटों में से 87 विधानसभा सीटों पर सीधा असर डालता है. जिनमें से 47 सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं.
समझिए आदिवासियों की सियासी ताकत
मध्य प्रदेश के पिछले कुछ चुनावी इतिहास पर नजर डाले तो यह बात स्पष्ट समझ में आती है कि कैसे प्रदेश की सियासत में आदिवासी वर्ग कैसे हार-जीत का समीकरण तय करता है. मध्य प्रदेश में आदिवासी समुदाय सियासत में अहम स्थान रखता है. आदिवासी वर्ग के लिए 47 सीटें आरक्षित हैं, जबकि आदिवासी वर्ग प्रदेश की 90 विधानसभा सीटों पर सीधा प्रभाव रखते हैं और यहां हार-जीत में अहम भूमिका निभाते है. 2018 के विधानसभा चुनाव में 47 में 31 सीटें कांग्रेस ने जीती थी, तो वहीं भाजपा को सिर्फ 16 सीट मिली थी. जबकि 35 अनुसूचित जाति वर्ग की 17 सीटों पर कांग्रेस और 18 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी. जिससे इन सीटों पर दोनों ही पार्टियों ने खास फोकस शुरू कर दिया है.
राजनीतिक जानकार की राय
हालांकि इस मुद्दे पर राजनीतिक विशलेषक गिरिजाशंकर का कहना है कि बीजेपी ने द्रौपदी मुर्मूको राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर बड़ा दांव खेला है. लेकिन द्रौपदी मुर्मूजिस आदिवासी समुदाय से आती है, वह वर्ग मध्य प्रदेश में ज्यादा नहीं है. जबकि अभी विधानसभा चुनाव में भी डेढ़ साल का वक्त है. ऐसे में बहुत से समीकरण अभी बदल भी सकते हैं. लेकिन बीजेपी ने दाव बड़ा खेला है. क्योंकि मध्य प्रदेश में आदिवासी समुदाय चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाता है. ऐसे में यह तो वक्त के साथ ही पता चलेगा.
प्रदेश के आदिवासी मतदाताओं को लुभाने के लिए द्रौपदी मुर्मूकी उम्मीदवारी 2023 विधानसभा चुनाव के लिहाज से बीजेपी के लिए बेहद अहम मानी जा रही है. क्योंकि प्रदेश के मालवा-निमाड़, महाकौशल और विंध्य ऐसे अंचल हैं, जहां आदिवासियों की तादाद काफी ज्यादा है. ऐसे में अगर द्रौपदी मुर्मूराष्ट्रपति बनती हैं तो 2023 के विधानसभा चुनाव में इसका फायदा पार्टी को हो सकता है.