अनिल नागर/राजगढ़ः अश्वविन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी के दिन यानी शारदीय नवरात्रि के दसवें दिन भगवान राम ने रावण का वध कर लंका पर विजय प्राप्त किया था. इसलिए इस दिन हर साल विजयदशमीं का पर्व मनाया जाता है. इस दिन जगह-जगह रावण का पुतला दहन कर जीत का जश्न मनाया जाता है. आज जहां दशहरे को लेकर चारों तरफ रावण के पुतला दहन की तैयारी चल रही है तो वहीं मध्य प्रदेश के राजगढ़ में रावण के पूजा की तैयारी चल रही है. यहां लोग दशहरे के दिन रावण को अपना आराध्य मानते हैं और दशहरे के दिन रावण का दहन न करके उसकी पूजा करते हैं.


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आपको बता दें कि कल जहां पूरे देश में रावण दहन किया जाएगा तो वहीं मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के भाटखेड़ी गांव में रावण और कुंभकरण की पूजा की जाएगी. भाटखेड़ी के ग्रामीणों के मुताबिक रावण और कुंभकरण उनके इष्ट देवता हैं. उनका मानना है की इनकी पूजा करने से हमारी सारी मन्नत पूरी होती है. यहां के रहवासी दशहरे के दिन गाजे-बाजे के साथ रावण और कुंभकरण को इष्ट देव मानकर पूजा अर्चना करते हैं.


रायसेन जिले के नेशनल हाईवे आगरा-मुंबई के नजदीक एक खेत में रावण और कुंभकरण की मूर्तियां स्थापित है. भाटखेड़ी गांव के लोग बताते हैं कि यहां रावण और कुंभकरण की मूर्ति लगभग डेढ़ सौ साल से भी अधिक पुरानी है, जो उनके पूर्वजों के द्वारा यहां बनाई की गई थी. ग्रामीणों पर जब भी कोई मुसीबत आती है तो ग्रामीण एकत्रित होकर जहां रावण और कुंभकरण की प्रतिमा बनी हुई है, वहां पहुंच जाते हैं और कीर्तन भजन कर रावण से मन्नतें मांगते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि उनकी मांगी गई मन्नतें भी पूरी होती हैं.


शारदीय नवरात्रि के दौरान यहां पर नौ दिन तक रामलीला का आयोजन किया जाता है और दशहरे के दिन रावण की पूजा अर्चना कर राम और रावण के पात्रों द्वारा भाला छुआ कर गांव और जनकल्याण की खुशी के लिए मन्नत मांगी जाती है. यहां के रहवासियों का मानना है कि ये रावण मन्नत पूर्ण करने वाला है. इसलिए ग्रामीण यहां नियमित पूजा अर्चना करते हैं. यहां आस-पास के गांव के लोग भी मन्नत मांगने के लिए आते हैं. मन्नत पूरी होने पर प्रसाद चढ़ाया जाता है.


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