ग्वालियर: हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने कथित रूप से धर्म परिवर्तन करके धार्मिक संस्थानों से मैरिज सर्टिफिकेट हासिल करने को लेकर बड़ा फैसला दिया है. हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी भी धार्मिक संस्था को युवक अथवा युवती का धर्म परिवर्तन कराने का अधिकार नहीं है. यह विधिवत रूप से कलेक्टर के यहां आवेदन देने के बाद ही हो सकता है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

नरोत्तम मिश्रा का कमलनाथ-राहुल गांधी पर बड़ा बयान, कहा-दोनों के बीच...


विवाह शुन्य घोषित किया
आपको बता दें कि हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के एक आर्य समाज मंदिर में हुए मुस्लिम लड़की के मतांतरण और विवाह को शून्य घोषित कर दिया है.


हाईकोर्ट ने कहा कि धर्म परिवर्तन करके मुस्लिम से हिंदू बनी युवती के मामले में हाईकोर्ट ने कहा है कि नारी निकेतन में रह रही इस लड़की को एक सप्ताह के भीतर वहां से आजाद किया जाए. चूंकि लड़की बालिग है इसलिए वह कहीं भी जाने के लिए स्वतंत्र है. यदि लड़की अपने माता-पिता के साथ जाने के लिए तैयार नहीं होती है तो वह अपने प्रेमी के साथ भी जा सकती है.


संस्था किसी का धर्म परिवर्तन नहीं करा सकती
हाईकोर्ट ने कहा है कि कोई भी धार्मिक संस्था किसी का धर्म परिवर्तन नहीं करा सकेगी. इसके लिए धर्म परिवर्तन की चाह रखने वाले लोगों को जिला कलेक्टर के सामने अपना विधिवत आवेदन पेश करना होगा. उसके बाद ही धर्म परिवर्तन किया जा सकेगा.


आखिर क्या था मामला
दरअसल ग्वालियर के रहने वाले राहुल यादव और हिना खान नामक लड़की ने गाजियाबाद के एक आर्य समाज मंदिर से धर्म परिवर्तन करके शादी का सर्टिफिकेट हासिल किया था. इस बीच राहुल के खिलाफ लड़की के घरवालों ने मामला दर्ज करा दिया. लड़का-लड़की को पुलिस ने बरामद कर लिया लेकिन लड़की अपने माता-पिता के साथ जाने के लिए तैयार नहीं हुई तब उसे नारी निकेतन भेज दिया गया. अब याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुरेश अग्रवाल ने कोर्ट में तर्क दिया कि, लड़की बालिग है. उसे नारी निकेतन में नहीं रखा जा सकता. ऐसे में कोर्ट ने उसे मुक्त करने का आदेश दिया.