Parul Sahu resigns from Congress: एमपी में कांग्रेस को लगातार झटके लग रहे हैं. एक के बाद एक नेता और कार्यकर्ता पार्टी को अलविदा कह रहे हैं. ताजा झटका पार्टी को बुन्देलखंड से लगा है. सागर जिले के सुरखी से विधायक रहीं पारुल साहू केशरी ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. पारुल ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को एक लाइन का इस्तीफा भेजकर मीडिया को उपलब्ध कराया है. पारुल इलाके में बड़ा नाम है और उनका काफी प्रभाव है. वे सागर जिले के पुराने राजनीतिक परिवार और प्रदेश के जाने-माने शराब कारोबारी परिवार से हैं. उनके पिता संतोष साहू कांग्रेस से विधायक रह चुके हैं और जाने-माने शराब ठेकेदार भी हैं. पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय अर्जुन सिंह के संतोष साहू के काफी करीबी माने जाते रहे हैं.  


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कौन हैं पारुल साहू?
पारुल साहू बीजेपी से कांग्रेस में आई थीं. 2013 में पारुल ने बीजेपी के टिकट पर सुरखी सीट से तत्कालीन कांग्रेस नेता गोविंद राजपूत को हराया और विधायक बनीं, लेकिन 2018 में बीजेपी ने अपने मौजूदा विधायक का टिकट काट दिया था. तभी से उनकी नाराजगी बीजेपी से चल रही थी. 2021 में कमलनाथ सरकार गिरने के बाद हुए उपचुनाव में जब बीजेपी ने कांग्रेस से बीजेपी में आए गोविंद राजपूत को उम्मीदवार बनाया तो पारुल की नाराजगी और बढ़ गई और रातों-रात पारुल ने पाला बदला और वह कांग्रेस में शामिल हो गईं. उपचुनाव में कांग्रेस ने उन्हें राजपूत के खिलाफ टिकट भी दे दिया था. हालांकि, पारुल 40 हजार से ज्यादा वोटों से उपचुनाव हार गईं थीं.


माउंट एवरेस्ट बेस कैम्प पर तिरंगा फहराया
2023 में, पूर्व विधायक पारुल साहू ने 15 दिनों की कठिन पैदल यात्रा के बाद माउंट एवरेस्ट के बेस कैम्प पर तिरंगा फहराया था. 20 साल से पर्वतारोहण कर रही पारुल ने अपनी बहन सोनिया और 12 अन्य सदस्यों के साथ यह सफलता हासिल की थी. माउंट एवरेस्ट के अलावा पारुल ने अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी माउंट क्लीमनजारो और माउंट थेलु केदारडोम, कामेत माउंट, अबी गमीन, सियाचीन ग्लेशियर और हिमालय की कई चोटियों एवं दर्रो पर तिरंगा लहराया है.


इस्तीफे से मची खलबली
बताया जा रहा है कि 2023 के आम चुनाव में भी उन्हें बिना टिकट के ही संतोष करना पड़ा था और तब से वह शांत चल रही थीं, लेकिन लोकसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच पारुल के इस्तीफे से हड़कंप मच गया है. फिलहाल पारुल ने किसी अन्य पार्टी में शामिल होने की घोषणा नहीं की है, लेकिन चर्चा है कि वह अपनी पुरानी पार्टी यानी बीजेपी में शामिल हो सकती हैं. पारुल ओबीसी वर्ग का बड़ा चेहरा हैं और आर्थिक रूप से भी संपन्न हैं. माना जा रहा है कि देश में महिला आरक्षण बिल लागू होने के बाद महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित होने से पारुल को भी उम्मीद है कि आने वाले चुनाव में उन्हें टिकट के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ेगा और वह बीजेपी में शामिल होंगी.