प्रमोद सिन्हा/खंडवाः मध्य प्रदेश के दक्षिणी छोर पर स्थित खंडवा जिले के इंदिरा सागर बांध पर बना संत सिंगाजी महाराज का समाधि स्थल इस समय आस्था का केंद्र बना हुआ है. यह न केवल श्रद्धा और आस्था का केंद्र है, बल्कि सैलानियों के लिए भी एक अच्छा स्थल है. कई सालों से देखा जा रहा है कि सैलानियों का भारी हुजूम संत सिंगाजी महाराज के दर्शन के लिए आता है. बता दें कि सिर्फ निमाड़ क्षेत्र ही नहीं बल्कि देश भर के पशुपालक सिंगाजी महाराज को संत के रूप में भी मानते हैं. इसके अलावा आपको बता दें कि लोग प्रसाद चढ़ा कर अपने पशुओं की लंबी उम्र की कामना करते हैं.


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क्या है सिंगाजी टापू की धार्मिक मान्यता
सिंगाजी टापू इंदिरा सागर बांध से बनी समुद्र जैसी झील के बीचों- बीच बने मानव निर्मित टापू सिंगाजी महाराज का समाधि स्थल है. लोगों की ऐसी मान्यता है कि 16 वीं सदी के अंत में संत सिंगाजी महाराज ने इसी स्थान पर समाधि ली थी. यह स्थान बोरोखेड़ा गांव में बसा हुआ था. लेकिन जब इंदिरा सागर बांध बना तो यह डूब गया था. लेकिन संत सिंगाजी महाराज के अनुयायियों ने सरकार से मांग की कि यह किसानों की आस्था का केंद्र है, इसे विस्थापित नहीं किया जाए. तब तत्कालीन प्रदेश सरकार ने यहां हजारों ट्रक मिट्टी डालकर टापू बनाया और 2 किलोमीटर लंबा रैंप बनाकर इस समाधि स्थल को संरक्षित किया. इसके अलावा ऐसा भी कहा जाता है कि लगभग 200 फीट नीचे मूल समाधि स्थल है और ऊपर उनकी चरण पादुका और अखंड ज्योति जलती है. साथ ही साथ आपको बता दें कि लोग कहते है कि संभवत यह पहला ऐसा स्थान है जहां पर लोग अपने अलावा पशुओं के लिए भी मन्नते मांगते है.


इंदिरा सागर बांध पर 50 से ज्यादा टापू
इंदिरा सागर बांध सन 2002 में बनकर तैयार हुआ था. बांध का एरिया 914 वर्ग किलोमीटर में फैला है. देश के इस सबसे बड़े बांध में हरसूद शहर सहित 284 गांव सहित हजारों हेक्टेयर जंगल और जमीन भी डूबी गई थी. इसी झील में हनुमंतिया सहित 50 से ज्यादा प्राकृतिक टापू भी उभरे हैं. उन्हीं में से संत सिंगाजी महाराज का भी एक टापू है, जहां पर साल भर सैलानियों और श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. बता दें कि नए वर्ष में यहां लोग परिवार सहित श्रद्धा भक्ति के साथ-साथ प्रकृति के अद्भुत नजारे को देखने आते हैं.


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