Hartalika Teej: दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलते हैं उज्जैन के सौभाग्येश्वर महादेव, जानिए क्या है मान्यता
हरतालिका तीज पर महाकाल वन में स्थित 84 महादेव में से एक सौभाग्येश्वर महादेव के पट खोले गए हैं. पूजन आरती के होते ही महिलाओं और कन्याओं की लंबी-लंबी कतारें लगनी शुरू हो गई है. महिलाएं आज यानी हरतालिका तीज पर सौभाग्यश्वर महादेव का दर्शन पूजन कर अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद ले रहीं हैं.
राहुल सिंह राठौड़/उज्जैन: धार्मिक नगरी उज्जैन में हर एक पर्व के लिए एक विशेष मंदिर है, जहां का अपना इतिहास है महत्व है. आज हरतालिका तीज का त्यौहार है. ऐसे में बीती रात महाकाल वन में स्थित विश्व प्रसिद्ध सौभाग्येश्वर महादेव मंदिर जहां बालू के शिव स्थापित है, उस मंदिर के पट खोले दिए गए हैं. यहां पुजारी द्वारा पूजन अभिषेक के बाद बाबा की आरती की गई, उसके बाद से बाबा सौभाग्येश्वर महादेव के दर्शन के लिए महिलाओं और कन्याओं की कतार लगनी शुरू हो गई. हरतालिका तीज के अवसर पर मंगलवार की रात इस मंदिर में रात्रि जागरण भी होगा.
हरतालिका तीज का महत्व
हरतालिका तीज के महत्व के बारे में सौभाग्येश्वर मंदिर के पुजारी शरद पंड्या ने बताया मान्यता है माता पार्वती को उनकी सखी द्वारा हरा गया था, इस वजह से इसे हरतालिका तीज पर्व कहा गया है. इस पर्व पर महिलाओं व कन्याओं द्वारा बाबा के पूजन का महत्व है. इससे सुख-स्मृद्धि की प्राप्ति होती है, कन्याओं को अच्छा वर मिलता है तो वहीं महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए कामनाएं करती हैं, मंदिर में कतार का ये सिलसिला अगली सुबह तक लगातार जारी रहेगा.
हरतालिका तीज पर महिलाओं और कन्याओं की लगती है भीड़
दरअसल सनातन धर्म को मनाने वाली कन्याएं व महिलाएं हरतालिका तीज पर्व को इस वर्ष बुधवार दिन भर व गुरूवार की रात रात्रि जागरण कर मनाने वाली हैं, जिसकी शुरुआत भी हो चुकी है. हिंदू धर्म की महिलाओं और कन्याओं में शिव पार्वती की भक्ति में लीन होकर हरतालिका तीज पर्व के रात्रि जागरण को लेकर बड़ा उत्साह देखा जा रहा है. कन्याएं चाहती हैं, उन्हें अच्छा जीवन साथी मिले, तो माताएं चाहती हैं. उनके जीवन साथी की उम्र लंबी हो, परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहे. आपको बता दें कि उज्जैन के पटनी बाजर स्थित सौभग्येश्वर महादेव मंदिर में हर साल महिलाएं व कन्याएं भारी संख्या में एकत्रित होती है और 84 महादेव में से एक विश्व प्रसिद्ध सौभाग्येश्वर महादेव का पुजन अर्चन कर आशीर्वाद लेती हैं, इस पर्व के दौरान महिलाएं व कन्या ना पानी पीती हैं और ना ही अन्न खाती है. वे अपना व्रत रात्रि जागरण के बाद ही खोलती हैं.
जानिए महाकाल वन के इस अद्भुत शिवलिंग का रहस्य
स्कंद पुराण के अनुसार प्राकृत कल्प में अश्वाहन राजा की पत्नी मदमंजरी यूं तो सुंदर और सुशील तथा पतिव्रता थी. लेकिन दुर्भाग्यवश वह हमेशा ही राजा द्वारा प्रताड़ित रहती थी, क्योंकि राजा जब उसका स्पर्श करता था तो उस राजा को मुरछा आ जाती थी. एक बार गुस्से में राजा ने मदमंजरी को जंगल में भेज दिया, तब उसने वहीं साधना रत एक तेजस्वी मुनि से अपने दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने का उपाय पूछा, उस मुनि ने उसे अपने तपोबल से जाना की कन्यादान के समय राजा पर पाप ग्रहों की दृष्टि के कारण ही मदमंजरी का यह हाल हुआ है, तब उस तेजस्वी मुनि ने मदमंजरी को महाकाल वन स्थित इस सौभाग्य देने वाले शिवलिंग की उपासना करने को कहा, रानी द्वारा वैसा वैसा ही करने पर उसे सौभाग्य की प्राप्ति हुई. मदमंजरी का दुर्भाग्य समाप्त कर उसे सौभाग्य प्रदान करने के कारण इस शिवलिंग की तभी से सौभाग्येश्वर के रूप में ख्याति हुई. ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन पूजन करने से हमारा दुर्भाग्य सौभाग्य में बदल जाता है.
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