प्रमोद सिन्हा/खंडवा:  मध्यप्रदेश के खंडवा जिले के दो गांव में अंधविश्वास के चलते नाग देवता की पूजा के नाम पर बाजार सज गया. पूजा पाठ, नाच गाने भंडारे और बीमारी दूर करने जैसे धतकर्म होने लगे. प्राणियों के प्रति संवेदनशील एक ग्रामीण की सूचना पर जब पुलिस और वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची तो सांप घायल अवस्था में मिला और उनका मुंह चिपका हुआ पाया गया. वन विभाग ने एक सांप को जंगल में छोड़ दिया और दूसरे का इलाज जारी है. विभाग ने ग्रामीणों को चेतावनी दी है कि दोबारा ऐसी हरकत की तो अपराध दर्ज किया जाएगा.


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गौरतलब है कि सावन के महीने में नाग पंचमी आती है और इस दिन नाग देवता की पूजा भी की जाती है. नाग के प्रति आस्था और विश्वास को कुछ लोग अवसर में बदलने से भी नहीं चूकते.


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सपने में आए नाग देवता
आदिवासी तहसील खालवा के साल्या खेड़ा गांव में एक महिला ने बताया कि कुछ दिन पहले नाग देवता उसके सपने में आए थे. नाग देवता ने बताया कि वह खेत में नियत स्थान पर आएंगे और वही रहेंगे. महिला ने इसी सपने के आधार पर गांव वालों को बताया और नाग देवता के प्रकट होने के नाम पर नाच गाने, पूजा-पाठ और भंडारे शुरू हो गए. झाड़-फूंक से लोगों की बीमारियों का इलाज भी शुरू कर दिया गया. इसी तरह मूंदी रेंज के एक गांव में महिला सांप को गले में डाल कर बैठ गई. वहां भी पूजा-पाठ का दौर शुरू हो गया. एक ग्रामीण ने जब देखा कि सांप ना तो चल फिर पा रहा है और ना ही कुछ खा रहा है तो उसने वन विभाग को इसकी सूचना दी.


एक सांप का इलाज जारी, एक को छोड़ा
जानकारी में सामने आया कि साल्या खेड़ा गांव में यह खेल पिछले 9 दिन से चल रहा था. ग्रामीण की सूचना पर पुलिस और वन विभाग की टीम पहुंची और नाग का रेस्क्यू किया. जांच में पता चला कि एक सांप की रीढ़ की हड्डी टूटी थी, जिसकी वजह से वह चल फिर नहीं सकता था,और उसका मुंह भी चिपका हुआ था. वन विभाग ने एक साथ को जंगल में छोड़ दिया और दूसरे का इलाज किया जा रहा है. वन विभाग ने चेतावनी दी कि दोबारा ऐसी हरकत की तो वन्य प्राणी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया जाएगा.


प्राणियों के मामले में जानकारी रखने वाले लोग बताते हैं कि सांप प्रकृति में स्वच्छंद विचरण करने वाले प्राणी हैं. उन्हें मानव हस्तक्षेप पसंद नहीं है. आस्था के नाम पर जो लोग उनके साथ ऐसा व्यवहार करते हैं वह अत्याचार की श्रेणी में आता है.