शैलेंद्र सिंह/बलरामपुर: जिले में प्रशासन की लापरवाही से स्वच्छ भारत मिशन के तहत पंचायतों में दिये गए रिक्शे रखे रखे जंग खा रहे हैं, जिससे शासन के करोड़ों रूपये का नुकसान होता दिखाई दे रहा है. योजना को लेकर जनप्रतिनिधियों ने प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है. वहीं मामला सामने आने के बाद जिम्मेदार अधिकारी जल्द ही योजना के संचालन की बात कह रहे हैं.


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करोड़ों खर्च के बाद भी योजना तोड़ रही है दम
दरअसल बलरामपुर जिले में शहर के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता को लेकर सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत जिले के 118 ग्राम पंचायतों में एक-एक लाख रुपये की लागत से घरों से कचरा कलेक्शन के लिए दो-दो रिक्शा के साथ-साथ कुछ अन्य सामग्री की सप्लाई करवाई थी और इसके अलावा गांव में कचरा प्रबंधन के लिए मनरेगा के तहत कचरा यार्ड का निर्माण करवाया गया था, जिसकी लागत 5 से 6 लाख रुपये की थी, जिसके माध्यम से समूह की महिलाओं को रोजगार से जोड़कर गांव से इकट्ठा किये गए कचरे को डंप कर उससे जैविक खाद बनाई जानी थी, जिसकी बिक्री के बाद ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार किया जाता. लेकिन यह योजना नदारत नजर आ रही है. 


सरपंच ने प्रशासन को ठहराया दोषी
वहीं योजना को लेकर सरकार ने करोड़ों रूपये खर्च कर दिए. लेकिन प्रशासन की लापरवाही से जिले में योजना अब दम तोड़ती हुई नजर आ रही है. जिससे सरकार को करोड़ों रूपये का नुकसान होता दिखाई दे रहा है. बलरामपुर जनपद पंचायत के जरहाडीह गांव की सरपंच ने बताया कि साल भर पहले पंचायत में कचरा कलेक्शन के लिए रिक्शा आया था. लेकिन उसको उपयोग के लिए पंचायत सचिव की तरफ से कोई पहल नहीं की गई, जिससे अब रिक्शा खड़े-खड़े जंग खा रहे हैं.


डंपिग यार्ड का निजी उपयोग
इसके अलावा क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने बताया है कि प्रशासन की लापरवाही से सरकार की महत्वपूर्ण योजना दम तोड़ रही है. महिला समूहों को दिए जाने वाले रिक्शे रखे रखे जंग खा रहे हैं और कचरा डंप के लिए बनाए गए यार्ड में अब ग्रामीण अपना निजी सामान रख कर उसका उपयोग कर रहे हैं.


जानिए क्या कहा अधिकारी ने
वहीं मामला उजागर होने के बाद जिम्मेदार अधिकारी अब महिला समूहों को ट्रेड कर योजना का संचालन करवाने की बात कह रहे हैं. लेकिन सवाल यही है कि जब प्रशासन के पास योजना को लेकर कोई ठोस प्लानिंग नहीं थी तो पंचायतों में रिक्शों की सप्लाई और डंपिग यार्ड का निर्माण क्यों करवा दिया गया. जिसमें शासन के करोड़ों रूपये का नुकसान होता दिखाई दे रहा है.


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