संदीप मिश्रा/डिंडौरी: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव (Madhya Pradesh Assembly Election 2023) जैसे जैसे नजदीक आ रहा है, सरकार उसी हिसाब से नई नई योजनाएं शुरू कर रही है. लेकिन ये योजनाएं कितनी कारगर है. इसकी जमीनी हकीकत आपको नल जल योजना (nal jal yojna) से चल जाएगा. बता दें कि डिंडौरी (dindori) जिले में दिनोदिन जलसंकट गहराता ही जा रहा है. आलम यह है कि कई गांवों में भीषण जलसंकट (severe drinking water crisis) के हालात बने हुए हैं. नलजल योजनाएं ठप्प पड़ी हुई हैं. साथ ही हैंडपंप भी सूख गए हैं ऐसे में ग्रामीण आदिवासी नदी नालों का दूषित पानी पीकर प्यास बुझाने को मजबूर हैं.


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अब ऐसे में सवाल उठता है कि चुनावी साल होने के बावूजूद प्रदेश में पीने के पानी को लेकर यह हाल है तो चुनावी साल के पहले और चुनाव के बाद क्या होगा यह कल्पना किया जा सकता है. जलसंकट से जूझ रहे गांव के लोगों ने स्थानीय से लेकर जिला स्तर तक अधिकारीयों से तमाम शिकायतें की हैं. लेकिन जिम्मेदार अधिकारी सब कुछ जानकर भी अंजान बने बैठे हैं.


दुषित पानी पीकर बुझा रहे प्यास
दरअसल हम बात कर रहे हैं डिंडौरी विधानसभा क्षेत्र के करंजिया विकासखण्ड में मोहतरा और सुनपुरी में जल जीवन मिशन योजना की. जहां पिछले कई महीनों से नलजल योजना पूरी तरह से बंद पड़ी हुई है. कुछ यही हाल लदरादादर गांव के भी हैं. यहां अधिकांश बैगा जनजाति के लोग निवास करते हैं. यहां के बैगा आदिवासियों छत्तीसगढ़ बॉर्डर के गांव जाकर नदी नालों का दूषित पानी पीकर प्यास बुझा रहे हैं.


जानिए क्या कहते हैं ग्रामीण
ग्रामीणों का कहना है कि पानी के लिए तपती धूप में उन्हें रोज दो किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. तब जाकर उन्हें पानी नसीब हो पाता है. लेकिन पानी के लिए छत्तीसगढ़ गांव के आदिवासियों से उन्हें लड़ाई करनी पड़ती है. वहीं पीएचई विभाग के अधिकारी से जब भीषण पेयजल जलसंकट को लेकर सवाल किया गया तो साहब गोलमोल बातें कर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ते हुए नजर आ रहे हैं.


गंभीर बीमारी के हो सकते हैं शिकार
डॉक्टर दूषित पानी के उपयोग करने पर उनके स्वास्थ्य के प्रति चिंता जता रहे हैं. डॉक्टर कहते हैं झिरिया और नदी नालों के दूषित पानी के पीने से बैगा जनजाति के लोगों को गम्भीर बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है. प्रशासन ने भीषण जलसंकट को ध्यान में रखते हुए लाखों रूपये की लागत से नलजल योजनाएं तो बनाई. लेकिन पिछले कई महीनों से नल जल योजनाएं लापरवाही की भेंट चढ़ गई. हैरत की बात तो यह है कि इस साल गर्मी में पानी का परिवहन भी नहीं कराया गया. जिससे ग्रामीणों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.


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