Mp political news: हाल में ही दिवंगत हुए भारतीय राजनीति के पुरोधा शरद यादव का अस्थि कलश उनके जीवन के शुरूआती दिनों में कर्म भूमि रही जबलपुर (Sharad Yadav ossuary In jabalpur) में स्थापित किया जाएगा. आपको बता दें कि बीते 12 जनवरी को शरद यादव का निधन (Sharad Yadav death) हो गया था. निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार उनके पैतृक आवास होशंगाबाद जिले (Hoshangabad District) के आंखमऊ बाबई गांव में राजकीय सम्मान के साथ किया गया था.


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गांव में भी स्थापित है अस्थिकलश
शरद यादव के निधन के बाद उनके दो अस्थिकलश उनके पैतृक गांव आंखमऊ बाबई में स्थापित कर दिए गए थे. जबकि दो अस्थिकलश उनकी लंबे समय तक कर्मभूमि रही बिहार राज्य के मधेपुरा में उनकी बेटी सुभाषिनी यादव और बेटे शांतनु बुंदेला द्वारा ज़मीन के अंदर स्थापित की गई थी. 


नदियों में प्रवाहित करने के पक्षधर नहीं थे शरद
शरद यादव के बड़े भाई एसपीएस यादव के पुत्र सिद्धार्थ यादव ने बताया कि एक अस्थि कलश गयाजी के लिए रखा गया था लेकिन उनके चाचा शरद यादव अस्थिकलश को नदियों में प्रवाहित करने के पक्षधर नहीं थे. जिसकी वजह से उनकी चाची रेखा यादव ने कहा कि ये अस्थिकलश जबलपुर में स्थापित किया जाएगा. आपको बता दें कि शरद यादव जबलपुर से दो बार सासंद रह चुके थे. इसके अलावा वो अपने जीवन की छात्र राजनीति की शुरूआत भी जबलपुर की धरती से किए थे. जिसकी वजह से उनका अस्थिकलश जबलपुर में स्थापित होगा.


भारतीय राजनीति के पुरोधा थे शरद 
शरद यादव के राजनैतिक सफर की बात करें तो इसकी शुरूआत छात्र राजनीति से हुई थी. जिसके बाद इसे उन्होने मुख्य राजनीति में परिवर्तित किया. धीरे - धीरे इसे आगे बढ़ाते हुए समाजवाद की एक बुलंद आवाज के रूप में जाने जाने लगे और इन्हे देश के तीन राज्यों से लोकसभा सांसद निर्वाचित होने का गौरव प्राप्त हुआ. ये मप्र की जबलपुर यूपी की बदायूं और बिहार के मधेपुरा सीट से सांसद निर्वाचित हुए और अपने नाम का लोहा मनवाया. उम्र ढलती गई शरद का शौर्य देश भर में फैल गया. उन्हे भारतीय राजनीति का पुरोधा कहा जाने लगा. इसके अलावा आपको बता दें कि उनके अलावा तीन राज्यों से लोकसभा सदस्य निर्वाचित होने का गौरव पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी को भी हासिल था.