Kushabhau Thackeray Jayanti: कहानी BJP के पितृ पुरुष कुशाभाऊ ठाकरे की, जिन्हें हराने के लिए गांव-गांव घूमी थीं इंदिरा गांधी
Kushabhau Thackeray: बीजेपी के कद्दावर और पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे कुशाभाऊ ठाकरे की आज जयंती है. कुशाभाऊ ठाकरे की गिनती बीजेपी के उन कद्दावर नेताओं में होती है. जिन्होंने पार्टी की नींव रखी. बता दें कि वह 2 साल तक भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष के पद पर रहे हैं.
Former BJP President Kushabhau Thackeray Kisse: आज भारतीय जनता पार्टी मध्यप्रदेश के साथ-साथ पूरे देश में बहुत मजबूत स्थिति में है. सबसे ज्यादा राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. हालांकि यह एकदम से नहीं हुआ और यह मुकाम पार्टी ने 1 दिन में नहीं पाया. इसमें कई सालों का संघर्ष और कई लोगों की मेहनत शामिल है. जिनमें से एक थे बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष कुशाभाऊ ठाकरे. भारतीय जनता पार्टी के पितृ पुरुष माने जाने वाले ठाकरे का खासकर मध्यप्रदेश में भाजपा आज जिस मुकाम पर है उसमें बहुत बड़ा योगदान है.
सीएम शिवराज सिंह चौहान समेत प्रदेश के कई नेताओं ने कुशाभाऊ ठाकरे की जयंती के अवसर पर उनको याद किया. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर ट्वीट करते हुए सीएम शिवराज ने लिखा, "जनसंघ के संस्थापक सदस्य, भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष,संगठन शिल्पी, निष्काम कर्मयोगी, श्रद्धेय कुशाभाऊ ठाकरे जी की जयंती पर कोटिश: नमन् करता हूं.आपका संपूर्ण जीवन राष्ट्र, संगठन और समाज सेवा के लिए समर्पित रहा."
धार जिले में जन्म
कुशाभाऊ ठाकरे का जन्म 19 अगस्त 1922 को मध्य प्रदेश के धार (Dhar of Madhya Pradesh) जिले में हुआ था. उनकी स्कूली शिक्षा धार में हुई थी. वह कम उम्र में 1942 में आरएसएस में शामिल हो गए थे और रतलाम डिवीजन (Ratlam Division) में प्रचारक के रूप में काम किया. उस वक्त रतलाम डिवीजन में रतलाम, उज्जैन, मंदसौर, झाबुआ, चित्तूर, कोटा, बूंदी, झालावाड़, बांसवाड़ा, दाहोद आदि जिले आते थे.वर्तमान समय में इनमें से कई जिले राजस्थान और गुजरात में जा चुके हैं. इसके बाद कुशाभाऊ ठाकरे को उज्जैन डिवीजन के संघ प्रचारक की जिम्मेदारी मिली थी.
1998 में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने
उन्होंने जनसंघ,जनता पार्टी (Jana Sangh, Janata Party) और भारतीय जनता पार्टी में एक कार्यकर्ता के रूप में शुरुआत की और टॉप पोजीशन तक पहुंचते हुए वर्ष 1998 में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे. अगस्त 2000 में उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया था. अपने राजनीतिक जीवन के दौरान,कुशाभाऊ ठाकरे ने पार्टी संगठन में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया और अपने रणनीतिक कौशल का प्रदर्शन किया.
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आपातकाल में गए थे जेल
1975 में जब देश में आपातकाल लगाई गई और विपक्ष के ज्यादातर नेताओं को जेलों में डाल दिया गया तो उस समय कुशाभाऊ ठाकरे भी 19 महीने जेल में रहे थे.
ठाकरे को हराने के लिए गांव-गांव घूमी थीं इंदिरा गांधी
कुशाभाऊ ठाकरे वर्ष 1979 में खंडवा लोकसभा उपचुनाव जीतकर संसद भी पहुंचे थे. उस समय उन्हें हराने के लिए इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) इस सीट पर चुनाव प्रचार के लिए मैदान में उतरी थीं. 1979 के उपचुनाव के समय इंदिरा गांधी ने कांग्रेस प्रत्याशी शिवकुमार सिंह के लिए वोट मांगने के लिए गांव-गांव का दौरा किया था. शिवकुमार सिंह पार्टी के एक मजबूत नेता थे. इंदिरा गांधी चुनाव प्रचार के लिए दिल्ली से भोपाल पहुंची थीं, लेकिन वहां से खंडवा जाने के लिए उन्हें हेलीकॉप्टर नहीं मिला. जिसके बाद वह ट्रेन से भोपाल से होशंगाबाद गईं, जहां उन्होंने खंडवा, बुरहानपुर, मंधाता के गांवों का दौरा किया और वोट की अपील की. हालांकि इसके बाद भी कांग्रेस जीत दर्ज नहीं कर पाई और ठाकरे चुनाव जीत गए.
81 वर्ष की आयु में हुआ स्वर्गवास
कुशाभाऊ ठाकरे का निधन 28 दिसंबर 2003 को 81 वर्ष की आयु में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान,दिल्ली (All India Institute of Medical Sciences, Delhi) में हुआ था. बता दें कि किडनी के कैंसर से पीड़ित होने के कारण वे लंबे समय से बीमार थे.