Madhya Pradesh News In Hindi: नागलवाड़ी शिखरधाम स्थित भीलट देव मंदिर अपने चमत्कारी रहस्य के लिए जाना जाता है.यहां लोग दूर- दूर से दर्शन करने आते हैं. वहीं नागपंचमी पर यहां आयोजित होने वाले मेले में लाखों की संख्या में प्रदेश सहित अन्य राज्यों से भी लोग दर्शन करने आते हैं. यहां की एक पौराणिक कथा भी है जिसे सुन सब हैरान हो जातो हैं. 


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बता दें कि इस मंदिर के क्षेत्र में किन्नर रात में नहीं ठहरते हैं. रात होने से पहले किन्नर नागलवाड़ी छोड़ देते हैं. कहा जाता है कि संतान विहीन लोग मन्नत में बाबा भीलट देव से संतान प्राप्ति की मांग करें तो उनकी मांग उनकी मन्नत जरूर पूरी होती है. ऐसी ही मांग एक बार एक किन्नर के द्वारा किया गया था. लेकिन उसके बाद क्या हुआ देखें हमारी खास रिपोर्ट में.


जानें पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार बाबा भीलट देव का विवाह बंगाल की राजकुमारी राजल के साथ हुआ था. उन्होंने अपनी शक्तियों से जनमानस की सेवा के लिए ग्राम नागलवाडी को चुना था साथ ही अपनी तपस्या के लिए समीप ही सतपुड़ा की ऊंची पहाड़ी के शिखर को चुना. जहां संतान के सुख से वंचित दंपती बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. बाबा भीलट देव ने बचपन में ही अपनी चमत्कारिक लीलाओं से परिवार व ग्रामवासियों को आश्चचर्यचकित कर दिया था.


किन्नर को मिला था संतान का वरदान
नागलवाड़ी के बारे में किन्नर समाज कहता है कि करीब 200 साल पहले एक किन्नर के मन आया था कि महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए यहां आती हैं, इसलिए किन्नर ने भी भीलट देव से संतान प्राप्ति की मन्नत मांगी थी. भीलट देव के आशीर्वाद से किन्नर को गर्भ ठहर गया था. लेकिन बाद में उस किन्नर की मौत हो गई. इसके बाद से मान्यता है कि कोई भी किन्नर यहां रात में नहीं रुकता. सूर्यास्त तक किन्नर गांव की सीमा से बाहर चले जाते हैं. यंहा कोई भी किन्नर रात में नहीं ठहरता.


रिपोर्टर- वीरेंद्र वासिंदे